हल्के लोग
करते हैं सदैव
हल्की ही बातें
और करते हैं
सबसे ये उम्मीद क़ि
उनकी हल्की बातों को
भारी माना जाए
इसके लिए देते हैं
वे बड़े-बड़े और
भारी-भारी तर्क
जब भी उन्हें
समझाया जाए
उनके हल्के
होने के बारे में
तो उतर आते हैं
वे अपने हल्केपन पर।
करते हैं सदैव
हल्की ही बातें
और करते हैं
सबसे ये उम्मीद क़ि
उनकी हल्की बातों को
भारी माना जाए
इसके लिए देते हैं
वे बड़े-बड़े और
भारी-भारी तर्क
जब भी उन्हें
समझाया जाए
उनके हल्के
होने के बारे में
तो उतर आते हैं
वे अपने हल्केपन पर।
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
No comments:
Post a Comment
यहाँ तक आएँ हैं तो कुछ न कुछ लिखें
जो लगे अच्छा तो अच्छा
और जो लगे बुरा तो बुरा लिखें
पर कुछ न कुछ तो लिखें...
निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!