उस दिन एक
नेता की
बेटी की
शादी में
या कहें
किसी
भले मानुष
की बर्बादी में
एक-दूसरे
के
जानी
दुश्मन नेताओं को
प्रेमपूर्वक
एक-दूसरे के
सीने से
चिपटते हुए
हाथों में
हाथ डाल
व्हिस्की-रम
के पैग गटकते हुए
देखकर मन
हुआ बड़ा उदास
और हुआ ये
अहसास
कि हम आम
जन
साथ-साथ
रहते हुए भी
विभिन्न
पार्टियों के
समर्थक
होने के नाम पर
एक-दूसरे
की जान के
दुश्मन तक
बन जाते हैं
और एक ये
नेता लोग हैं
जो जानी
दुश्मन होते हुए भी
एक-दूसरे
के सुख-दुःख में
सदैव ही
काम आते हैं
अपनी-अपनी
सोच है।
सुमित प्रताप सिंह
इटावा, नई दिल्ली, भारत
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