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Friday, June 22, 2012

जीवनदान (लघु कथा)


चित्र गूगल से साभार 


रितेश को अस्पताल में होश में आता है, तो देखता है  कि सामने एक युवक के साथ डॉक्टर खड़ा हुआ है. डॉक्टर रितेश  से उस युवक का परिचय करवाता है. "रितेश इससे मिलो यह विनय है.  अगर यह सही समय पर तुम्हें खून न देता तो शायद आज तुम जीवित न बचते." रितेश विनय को देखकर  चौंकता है, तो डॉक्टर उससे पूछता है,  "क्या तुम इसे जानते हो?"  रितेश  कहता है,  "हाँ! एक बार इसके भाई का एक्सिडेंट हुआ था उसकी हालत बहुत गंभीर थी. उसे खून की जरूरत थी. इसने मुझसे उसकी मदद करने के लिए कहा था पर मैंने साफ़ मना कर दिया था."  डॉक्टर ने आश्चर्य से पूछा, "तुमने खून देने से मना क्यों किया था?" रितेश  ने जबाव दिया, "मुझे लगा रक्तदान करने से मुझमें कमजोरी आ जायेगी."  डॉक्टर  उसे समझाकर कहता है, "रितेश रक्तदान करने से कमजोरी नहीं आती. हाँ इससे किसी को जीवनदान अवश्य मिलता है." रितेश ने कहा, "डॉ. साब शायद आप ठीक ही कह रहे हैं. इस बात को आज मैं अच्छी तरह समझ चुका हूँ. मुझसे भारी भूल हो गई थी, जो मैंने ज़रूरतमंद को समय पर खून नहीं दिया. अब मैं अपने सभी दोस्तों को रक्तदान के लिए प्रेरित करूँगा और स्वस्थ होते ही स्वयं भी नियम से रक्तदान किया करूँगा."

16 comments:

  1. i donated blood yestrday,its a nice story. :)

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  2. रक्तदान जीवनदान.सच है.

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  3. बहुत प्रेरक लघु कथा...

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  4. एक अच्छी और प्रेरणादायक लघु कथा हेतु बहुत-बहुत शुभकामनाएँ संगीता जी.

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    1. शुक्रिया कला महाविद्यालय, माणगाव.

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  5. रक्तदान जीवनदान ठीक बात है पर हमारे पास तो रक्त की कमी हमेशा रहती है. लघु कथा बढ़िया है.

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  6. सुन्दर प्रेरणादायक लघु कथा, हार्दिक आभार बहुत बहुत शुभकामनायें संगीता जी

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  7. सार्थक लघु कथा कलम घिस्सी जी.

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सुमित प्रताप सिंह,
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