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Thursday, June 21, 2012

हाइकु

  (१)
एक हाँ या ना
बदल देती कभी
सारी ज़िंदगी.


   (२)
आंसू को रोको
पोंछेगा नहीं कोई
स्वार्थी दुनियां.


   (३)
रिश्तों की लाश
उठायें कन्धों पर
कितनी दूर?


   (४)
पाला था जिन्हें
बिठा पलकों पर 
चुराते आँखें.


   (५)
सुखा के गयी
प्रेम का सरोवर
स्वार्थों की धूप.


   (६)
बड़े हैं घर
मगर दिल छोटा
वक़्त के रंग.


कैलाश शर्मा 

2 comments:

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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!