सफ़ेद बर्फ से घिरे पहाड़
मानो समेट लिया हो
बर्फ ने पहाड़ों को
अपने आगोश में,
चमकते सूरज की शुआओं* ने
तापा है तेरे - मेरे जिस्म को,
हंसी वादियों में
महकती
सर्द हवाओं ने
सजाया है मौसम
तेरे-मेरे लिए.......
किसी जर्रे में है धूप
किसी में है छाया,
आज है यहीं पर
आसमां...
अपनी
जमीं का हमसाया |
*शुआओं : किरणों
रविश 'रवि'
फरीदाबाद
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