चाँद ने अपनी
रातों की बादशाहत का
विस्तार करना चाहा
उसने बनाई एक वसीयत
जिसमें एक मटरगश्त को
आधी सल्तनत दे दी गई
जिसे रात भर जागने और
भटकने की लत हो और
जो बुन सके सौम्यता की
इतनी बड़ी चादर
जिससे पूरी कायनात पर
जिल्द चढ़ाया जा सके
इस तरह मेरे हिस्से में
आई ज़मीन और
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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!