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Tuesday, June 25, 2013

कविता: बिटिया ने सीखा

तुलसी के समीप 
जलता  दीपक 
आँगन का करता प्रतिनिधित्व 
लगता नन्हा सूरज 
लेता हो जन्म रोज आँगन में ।

जब माँ 
अपनी बेटी को 
सिखाती है दीपक 
कैसे जलाना /लगाना 
बिटिया इसे महज 
छोटा काम समझती 
किन्तु बड़ी होने पर 
जब वो ससुराल में 
लगाती है तुलसी की 
क्यारी पर दीपक ।

तब चेहरा निखर जाता और 
बढ जाता है पिया का प्रेम 
दूर बजता मधुर गीत 
कानों में मिश्री  घोल जाता -
में तुलसी तेरे आँगन की ।

श्रद्धा /आस्था /प्रेम /कर्तव्य की भावना 
दीप की लो में संग बातों के 
ज्यादा प्रकाशवान दिखाई देती है 
जो माँ ने सिखलाई थी बचपन में मुझे 
जब याद आती है तो पाती हूँ 
तुलसी की क्यारी में 

माँ की प्यारी सी झलक ।

संजय वर्मा 'दृष्टि '




125, शहीद भगत सिंह मार्ग,
मनावर, जिला- धार (म.प्र.)

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