(1)
घर की शान
प्रेम का प्रतिमान
प्यारी बेटियाँ.
(२)
दुर्गा की पूजा
कन्या की भ्रूण हत्या
दोगलापन.
(३)
क्या देगा बेटा
लाई थी मैं भी प्यार
आने तो देते.
(४)
बेटे की चाह
माँ हुई भागीदार
बेटी की हत्या.
(५)
कैसे जी पाती
आफरीन बन के
न आना अच्छा.
(६)
क्यों भूल गये
वह भी औरत थी
तुम्हें जन्मा था.
(७)
नसीब लायी
जन्म पूर्व मरना
सिर्फ़ बेटी ही.
(८)
खुशियाँ गूंजी
आँगन है चहका
बिटिया आयी.
कैलाश शर्मा
गहन अर्थ लिये बहूत हि सार्थक हाईकू
ReplyDeleteअच्छे हायकू है
ReplyDeleteकन्याओं की हत्या एक अक्षम्य अपराध तो है ही। मुझे तो इस बात का दुख है कि इनको कविता रचने का विषय बनना पड़ा है। वैसे तीसरा हाइकु अत्यंत प्रभावशाली है। ऐसी दुखद बात पर भी वाह वाह करना पड़ रहा है.....
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