गरीबा समुद्र के किनारे बैठा देख रहा था, कि लोग बारी-बारी से गणेश जी की विभिन्न आकर की प्रतिमाएँ लाते और उन्हें समुद्र मैं विसर्जित करके नाचते-गाते वहाँ से चले जाते.
गरीबा बहुत देर तक यह सब देखता रहा.
फिर अचानक ही वह बुदबुदाया, "ये और हम लोग गणपति बप्पा को बरोबर पूजते हैं, लेकिन ये महाराष्ट्र का लोग हम उत्तर भारतीयों को भैया बोलता है और हमसे बुरा व्यवहार करता है. हम लोग कई पीढ़ी से यहाँ रह रहा है, फिर भी ये लोग हमको बाहरी ही मानता है."
गरीबा ने बीड़ी जलाकर एक लंबा सा कश खींचा और बड़बड़ाया, "गणपति बप्पा को ये लोग अपना सबसे बड़ा देवता मानता है, तो वो भी तो उत्तर भारत के हिमालय परबत पर जन्म लिया था. फिर तो अपना गणपति बप्पा भी बाहरी हुआ न"?
फिर अचानक गरीबा जोर से खिलखिलाया, "या फिर हो सकता है, कि इन लोगों का हिमालय परबत महाराष्ट्र में ही किसी जगह पर हो"?
Prerak laghu katha
ReplyDeleteशुक्रिया भारती जी...
Deleteबढ़िया लघु व्यंग्य
ReplyDeleteशुक्रिया रतन जी...
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