देश की सुरक्षा में सबसे बड़ा योगदान हमारे सैनिकों का होता है
जो हमारे देश की रक्षा में अपना सर्वस्व बलिदान कर देते हैं अपनी जान की परवाह किये बिना अपने देश की सुरक्षा में संलग्न रहते हैं
आज हम अगर चैन की सांस ले रहे हैं तो इनकी ही वजह से
ये लोग अपने परिवार की चिंता किये बिना अपना फ़र्ज़ निभाते हैं हमारे देश की सेना को
विश्व की सबसे ताक़त्वर सेना माना जाता हैं आज
हमारी सेना अत्याधुनिक तकनीकी से लेस हैं हमने आज तक सभी युद्ध जीतकर अपना लोहा सारे विश्व में मनवा लिया हैं आज जब हम पीछे
मुड़कर देखते हैं तो हमें अपनी सेना पर गर्व
होता हैं हो भी क्यूँ ना जिन वीरों ने हमें
इस विजय के अवसर दिए उन्हें हम सम्मान दे उन्हें अपनी सरखों पर बिठायें ऐसे वीर भी
बिरले ही मिलते
धन्य हे ये भारत भूमि जिसने ऐसे वीरों को जन्म
दिया इस भूमि ने सदैव वीरों को सर्वोच्च समर्पण का सम्मान दिया हे लेकिन क्या हम
भारतवासी इन वीरों को उचित सम्मान देते हे क्या हम उनके बलिदान को याद रखते हैं
केवल भारतीय सैनिकों की बात ही नहीं क्या हम लोग आज़ादी के दीवानों के बलिदान को
याद करते हैं आज हम केवल उनके बलिदान दिवस या जन्मदिवस पर श्रधांजलि देकर अपना
फ़र्ज़ पूरा हुआ यह मानते हे पर ऐसा नहीं
हे हमें उनके बलिदान को जाया नहीं होने देना चाहिए हमें दोनों वीरों सैनिकों और
आजादी के वीरों को सम्मान देना चाहिए वैसे वर्तमान में सबसे बड़ा युद्ध कारगिल
युद्ध माना
जाता हैं जिसमे अनेक वीरों ने अपने प्राणों की
आहुति दी इसके
अलावा आज
के समय में आतंकवादी हमलों ने देश की सुरक्षा पर खतरा उजागर कर दिया हे आज हमारे
सैनिकों को देश की सीमाओं के साथ साथ इस खतरे से भी दो चार होना पड़ रहा हे हमारी
सरकार शहीदों के बलिदान पर उनके लिए अनेक वायदे करती हे उनके परिवार को नौकरी, पेट्रोल
पम्प, उनके बच्चों को मुफ्त शिक्षा, आवास, इन वादों को करके सरकार ये मान लेती हे कि उनकी जिम्मेदारी पूरी हुई पर क्या ये सुविधायें उन शहीदों के परिवारों
तक पहुँचती हे ये कोई नहीं जनता ना ही जानने कि कोशिश करता तभी तो इन सुविधाओं के
हक़दार कोई और ही बन जाते हे और जिन्हें ये मिलनी चाहिए थी वे तो बिना सहारे के दर
दर कि धोकर खाने को मजबूर हो जाते हे उनकी सुध लेने
वाला कोई नहीं होता उनका परिवार अपने सपूत को खोकर केवल असहाय का जीवन जीता हे इस
बारे मे मै आपको एक ताज़ा प्रसंग बताती हूँ मुंबई में आदर्श सोसाइटी का जो अभी
प्रकरण चल रहा हे वो सोसाइटी कारगिल के वीरों के परिवारों के लिए निर्मित कि गयी
हैं पर अब सारा प्रकरण मीडिया में उजागर होने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री को त्यागपत्र देना पड़ा अब वो चाहे जो कहे
कि ज़मीन सेना कि नहीं सरकार कि हे पर अब ये तो साफ़ हे कि सरकार ने एक बार फिर
हमेशा कि तरह वीरों के साथ सम्मान के बजाय उनका अपमान किया हे क्यूंकि जिन्हें यह
आवास मिलने थे उन्हें तो मिले नहीं बल्कि
सरकार के ही होकर रह गए जैसा पेट्रोल पम्प के आवंटन में भी हुआ था क्या हम अपने वीरों और सेनानियों के लिए इमानदारी से कोई
योजना को लागु नहीं कर सकते क्या उनके सम्मान में उनके परिवारों को मिलने वाली
सुविधाओं को उनतक नहीं पहुंचा सकते अगर ऐसा हे तो फिर विजय दिवस मनाने की औपचरिकता
ही क्यूँ निभाई जाये अगर हम सभी भारतवासियों के दिल में और सरकार के दिल में भी
उनके प्रति आदर हे तो ये प्राण करे कि हम पुरे सम्मान के साथ सदैव उनके बलिदान को
याद रखेंगे और देश की रक्षा
करनेवालों
के परिवारों की रक्षा हम सभी मिलकर करेंगे एक
जागरूक देशवासी होने के नाते हमारा यह फ़र्ज़ हे की हम सभी भी इन कार्यों में ज़्यादा
से ज़्यादा सहयोग कर सेना और सैनिकों का सम्मान करे और आनेवाली
पीढ़ी को सेना में शामिल होने को प्रेरित करें.
जय हिंद जय भारत
जय हिंद जय भारत
सरकार को पूरी इमानदारी से ,सेनानियों के लिये कोई ठोस योजना लागू करना चाहिए,,,,,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,
मनीषा जी इस देश का मिजाज ऐसा ही है
ReplyDeleteएक कवि ने तो यहाँ तक लिखा है
"ओ भगत सिंह तुम जन्म न लेना
इस देश की माटी में
देश प्रेम की सज़ा मिलेगी
अब भी तुमको फांसी में."
वैसे आपने एक सही मुद्दा उठाया है. इसके लिए आपको साधुवाद...
आज देश इसीतरह के जोश की जरुरत है क्योंकि विवादों ने सेना और सैनिको का मनोबल तोड़ दिया है...बधिय आलेख
ReplyDeleteनेताओं की मेहरबानियाँ ऐसी ही रही तो हिंदुस्तान ढूंढते रह जाओगे
ReplyDeleteसच को बयान करता एक सुन्दर लेख.
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