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Wednesday, September 24, 2014

ग़ज़ल

जो सहीफ़ों* का लिखा हो जाएगा ।
तो ज़माने का भला हो जाएगा ।।
साथ देगा जब किसी छोटे का तू ।
बस उसी दम तू बड़ा हो जाएगा ।।
ये नहीं सोचा था कल मैंने कि तू ।
बे सबब मुझसे जुदा हो जाएगा ।।
बात तो कुछ भी न थी बे बात ही ।
मुझसे तू इतना ख़फ़ा हो जाएगा ।।
दौरे – गर्दिश मे मुझे मालूम है ।
यार तू भी बे वफ़ा हो जाएगा ।।
तेरी रहमत जो रही तो वक़्त का ।
हर निशाना फिर ख़ता हो जाएगा ।।
सच कहा तो मार ही देगा न तू ।
और इसके सिवा हो जाएगा ।।
कर भला तू काम कोई भी असर
तेरे हक़ मे वो दुआ हो जाएगा ।।

*सहीफ़ों – धर्म ग्रंथों

© प्रमोद शर्मा ‘असर’
हौज़ खास, नई दिल्ली 

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