जो सहीफ़ों* का लिखा हो जाएगा
।
तो ज़माने का भला हो जाएगा ।।
साथ देगा जब किसी छोटे का तू
।
बस उसी दम तू बड़ा हो जाएगा
।।
ये नहीं सोचा था कल मैंने कि
तू ।
बे सबब मुझसे जुदा हो जाएगा
।।
बात तो कुछ भी न थी बे बात
ही ।
मुझसे तू इतना ख़फ़ा हो जाएगा
।।
दौरे – गर्दिश मे मुझे मालूम
है ।
यार तू भी बे वफ़ा हो जाएगा
।।
तेरी रहमत जो रही तो वक़्त का
।
हर निशाना फिर ख़ता हो जाएगा
।।
सच कहा तो मार ही देगा न तू
।
और इसके सिवा हो जाएगा ।।
कर भला तू काम कोई भी ‘असर’
।
तेरे हक़ मे वो दुआ हो जाएगा
।।
*सहीफ़ों – धर्म ग्रंथों
© प्रमोद शर्मा ‘असर’
हौज़ खास, नई दिल्ली
No comments:
Post a Comment
यहाँ तक आएँ हैं तो कुछ न कुछ लिखें
जो लगे अच्छा तो अच्छा
और जो लगे बुरा तो बुरा लिखें
पर कुछ न कुछ तो लिखें...
निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!