गीत जो तुम ,
मेरे लिए
गुनगुनाते हो
हवाएं मुझ तक
पहुंचा देती है ......
कुछ गीतों को
सितारों में
टांक दिए हैं मैंने ,
कोई
टूटता सितारा
तुम्हारा गाया गीत
गुनगुना जाता है .....
कुछ गीतों को मैंने
कशीदाकारी से
फूल बना कर
आंचल पर सजा लिए ,
हर गीत फूल की
तरह
तुम्हारी याद को
महका जाता है ........
कुछ गीत बिखेर दिए
यूँ ही हवाओं में ,
लिपटी रहती हूँ तुम्हारे
अहसासों में ,
कभी कोई गीत छू जाता है
मेरा अंतर्मन
तुम्हारी याद में
मैं भी गुनगुना उठती हूँ ...
उपासना सियाग
अबोहर, पंजाब
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