प्रसव वेदना का दर्द
झेल चुकी माँ
खुशियों के संग पाती
नन्हें शिशु को ।
होठों से शीश चूमती
तभी कल्पनाएँ भी
जन्म लेने लगती
उसके बड़े हो जाने की ।
नजर न लगे
अपनी आँखों का काजल
अंगुली से निकाल
लगा देती है टीका
बीमारियों के टीके के साथ ।
बलात्कार की ख़बरें सुनकर
बहुत दुःख होता है
बलात्कारियों की हैवानियत
मिटाना और कड़ी सजा मिलना जरुरी
क्योंकि
कई माएँ स्नेहमयी /ममतामयी निगाहों से
आज भी खोज रही अपनी बच्चियों को ।
किंतु वे बच्चियाँ माँ के दूध का कर्ज
कैसे चुकाएंगी ?
जिन दरिंदों की वजह से
आज वे इस दुनिया में नहीं है ।
bahut hi sundar prastuti,badhayee
ReplyDeletethanks azizji jaupuri
Deleteमार्मिक सत्य
ReplyDeletedhanywad vandanaji gupta
Deletedhanywad shashiji purwar avm charcha manch ke mandal sdsyo ko
ReplyDeletesaadarblogaste par kaviyo ko achchi pratikriya milati hai
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