एक टूटी दीवार
एक सूखा हुआ पेड़
एक मुरझाया हुआ फूल
एक ऐसी दीवार...
जिसमें आपका घर था
एक ऐसा पेड़
जिसके हज़ारो फल खाऐ आपने
एक ऐसा फूल
जिसने आपकी जिंदगी महकाई
वो माँ
जिसकी आँचल की छाँव में
महफूज़ बचपन बीता
वो माँ
जिसकी उंगली थाम कर
जिंदगी में चलना सीखा
क्या होते आप
अगर ये पेड़ ना होता
अगर ये दीवार ना होती
अगर ये फूल ना होता
अगर ये माँ ना होती
क्या होते आप
क्या होता आपका वजूद...
रचनाकार: सुश्री रमा शर्मा
ओसाका, जापान
bahut khub maa ke bin ghar bejaan hota hai
ReplyDeleteगुज़ारिश : !!..शायद ,मैं फेल हो गई.. !!
आभार सरिता जी
Deleteकुछ नही होता माँ के बिना हमारा कोई अस्तित्व ही नही होता , क्योकि माँ तो बस माँ होती हे ,
ReplyDeleteसही बात गीता जी ,अगर जी समझे तो
Deleteकुछ नही होता माँ के बिना हमारा कोई अस्तित्व ही नही होता , क्योकि माँ तो बस माँ होती हे ,
ReplyDeletemaa k bina aaj mai nahi hoti bas itna hi kahungi....bahut sundar kavita..
ReplyDeleteआभार शांति ही
DeleteVery good and well expressed. You have said it with great emotion and sentimentality. Great truth about the bond between mother and child.
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरती से पिरोया इन भावनाओ को.....
ReplyDelete