सादर ब्लॉगस्ते पर आपका स्वागत है।

Saturday, July 7, 2012

कविता: पेड़ और धर्म


 चित्र गूगल बाबा से साभार  

बस्ती के हर आँगन में 
पेड़ हो बड़ा 
खूब हो घना
खुशबूदार फूल हों 
फल  मीठे-आते  हों  लदकर.

छाँव उसकी बड़ी दूर तक जाए 
खुशबू की कहानियाँ हों घर-घर

हवा के झोंके में
झरते रहें फल
उठाते-खाते गुजरते रहें राहगीर 

ऐसा एक पेड़
बस्ती के हर आँगन में 
लगाना ही होगा

लोग
भूल गए हैं -धर्म
पेड़ों को बताना ही होगा.


लेखक- श्री सुरेश यादव
संपर्क- 09717750218

3 comments:

  1. वाह क्या कविता है.

    ReplyDelete
  2. वाह ...बहुत सुंदर .... इंसान तो समझता नहीं शायद पेड़ ही समझ जाये ...

    ReplyDelete
  3. बहुत ही बढ़िया सिख देती कविता है....
    :-)

    ReplyDelete

यहाँ तक आएँ हैं तो कुछ न कुछ लिखें
जो लगे अच्छा तो अच्छा
और जो लगे बुरा तो बुरा लिखें
पर कुछ न कुछ तो लिखें...
निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!