आज
के समय में मोबाइल हर युवा दिल की धडकन बन चुका है. तो दूसरी ओर प्रतिष्ठा का प्रतीक भी
है. आज करोड़ो मोबाइल उपभोक्ता है.मोबाइल उनके जीवन शैली के साथ उनका सबसे
विश्वसनीय मित्र साबित हो रहा है.वे हर वक्त इसके बिना अपने को अधूरा महसूस करते
है.लेकिन अगर बात स्वास्थ्य से जुडी हो, तो विचार करने की ज़रूरत है.भूमंडलीकरण के इस
दौर में दुनिया सिमटकर गाँव बन गयी है.इससे नयी तकनीक का तेज प्रसार होता है.जिस तरह मोबाइल का प्रसार हुआ, उसमे
समय पर चेतावनी मिलने की सम्भावना कम होती है.मोबाइल के प्रसार को प्रगति के प्रतीक
के रूप में प्रचारित किया गया.जब किसी उत्पाद के साथ आर्थिक हित जुड़े हो तो उनके
खतरों को छिपाने का प्रयास ज्यादा होता है.यह भी निश्चित है कि लोगों
को मोबाइल से अनेक लाभ नज़र आये.भारत सहित पूरी दुनिया में २४ घंटे संपर्क को बनाये
रखने में ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन सेवा(जीएसएम) प्रारंभ की
गयी.जीएसएम ने पूरे भारत में दूर संचार क्रांति को पहुँचाने में मदद की.. मोबाइल के लंबे इस्तेमाल
से १५% लोग मानसिक परेशानियों से जूझ रहे है.
भारत
सरकार के संचार-सूचना तकनीक मंत्रालय ने मोबाइल से जुड़े खतरों के अध्यन के लिए एक
अंतर मंत्रालय समिति का गठन किया है. जिसने अपनी रिपोर्ट में मोबाइल फोन और इनके टावर से निकलने वाले
रेडियेशन से याददाशत कमजोर होना,पाचनतंत्र में गडबडी होना,अनिद्रा,थकान,सिरदर्द आदि खतरे जुड़े है.इससे ब्रेन केन्सर भी हो सकता है.बाद में थायरोइड केन्सर की सम्भावना है.ह्रदय की धमनियां खराब होने से अचानक मौत हो
सकती है.श्वेत रक्त कणिकाओं में कमी से रोग प्रतिरोधक क्षमता
प्रभावित होती है.प्रजनन अंग क्षतिग्रस्त हो जाते है जिससे अस्थायी नपुंसकता आ
जाती है.आज के युवा हर दिन अपनी रिंग टोने बदल देते है.इन टोन की
मस्त धुन सुनते युवा अपने दिल को कमजोर बना रहेहै.आज मोबाइल की बैटरी फटने के भी
कई उदाहरण हमारे सामने है.
इन
खतरों को कम करने के लिए कुछ सावधानियां बरती जा सकती है.जब तक संभव हो लैंडलाइन
फोन का इस्तेमाल करे,..लंबी बात मोबाइल पर न करें,कमजोर सिग्नल की स्थिति में मोबाइल के उपयोग से बचे,फोन को पास रखकर न
सोये,इसे
सिर और तकिये से दूर रखे,रात में इसे स्विच ऑफ कर देना चाहिए,बच्चोंको मोबाइल से दूर रखना बेहद ज़रुरी है.
उपभोक्ता बेहतर गुणवत्ता वाला मोबाइल फोन खरीदकर अपने खतरे को कम कर सकते है.
हैण्ड सेट को पहनकर बात करने की आदत डाले.मोबाइल खरीदते समय ध्यान रखें कि उसमे
निम्न स्तर का एसएआर हो.जो आपकी
शरीर
पर रेडियो तरंगों का प्रभाव मापता है.संवाद के लिए जहाँ तक सम्भव हो एसएमएस का इस्तेमाल
करें. जिस से हम अपनी इस आधुनिकतम खोज को वरदान के रूप में
अपना
सकें और अपने देश कि प्रगति को नए आयामों कि ओर ले जा सकें..........!
मनीषा जी, आपने विस्तार से मोबाइल के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला है...ज्ञानवर्धक आलेख..शुक्रिया
ReplyDeleteसुन्दर! लेकिन अपने ब्लाग के आलेख का फोंट बड़ा करें तो अच्छा होगा।
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