सुबह-सुबह जब जागे
बेमन से हम यारा
सोचा हाय खो दिया
सपना इतना प्यारा
उठकर ली अंगड़ाई
चटका तन बेचारा
नहा-धो जो भी मिला
उससे किया गुजारा...
काँधे टांगा थैला
थोड़ा सा जो मैला
उसमें डाली रचना
हमसे भैया बचना
हमने अच्छे-अच्छों को
सुना-सुना के मारा...
जो सुनता है जैसी
न कहते उससे वैसी
अपनी तो आदत में
करना ऐसी-तैसी
जो भी था फन्ने खां
वो ही हमसे हारा...
आगे मिल गये बच्चे
बच्चे कितने अच्छे
कविता सुनते बड़े प्रेम से
हँसे देख सब लुच्चे
इस जग मे न है
बच्चों सा कोई प्यारा...
चीं-चीं कर चिडियाँ आयीं
डाला उनको दाना
पाप हुये हों अनजाने में
अब है पुण्य कमाना
भूख मिटे इस दुनिया से
करें जतन ये प्यारा...
गालियाँ-कूचे फिरता रहता
मन होकर बंजारा
किसी को हंसा दें दो पल तो
हो जीवन सफल हमारा...
"GALIAN KUNCHE PHIRTA RAHTA,MAN HO KAR BANJARA,KISI KO HSAN DE DO PALL TO,HO JEEWAN SAFAL HMARA"SUNDER BHAW LIYE EK BEHAD KHOOBSURAT RACHNA,SUNDER LIKHNE KE LIYE BADHAI HO SUMIT JI.
ReplyDeleteआपके कमेन्टरुपी स्नेह हेतु आभार अमर जी...
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