सुबह-सबेरे
उठकर
जो आँख अपनी
खोली
व्हाट्स
एप्स पे संदेशा पाया
आज है जी
होली
फेसबुक
पर चली फिर
हँसी और
ठिठोली
लाइक-कमेंट
के भँवर में
दुनिया
तो खो ली
गूगल
प्लस पर दिखी
रंग-बिरंगी
रंगोली
मित्रों
को शेयर कर दी
वो होली
की रंगोली
ट्विटर
पर चीं-चीं करें
सखा और
सहेली
होली तो
बन गई
बस इंटरनेट
की सहेली
न तो
गुलाल लगा
न ही रंग
चिपटा बदन से
पर पूरे
जग ने मना ली
मजेदार
होली
अब याद आ
रही है
वो फाग
की मस्ती
वो यारों
का संग
वो अपनों
की बस्ती
जो अब तक
न छूटे
वो प्यार
के गाढ़े रंग
कभी बसती
थी दिलों में
वो स्नेह-प्रेम
की उमंग
हमें एक
करके भी
छीन लिया
एका
वर्चुअल
संसार ने लिया
जबसे त्यौहारों
का ठेका
इंटरनेट
से हुई थी शुरू
जो
धमाकेदार होली
वो यहीं
से शुरू
और यहीं
खत्म हो ली
अब लोग
आउट कर
बंद करें
हँसी-ठिठोली
होली तो
यारो
कबकी हो
ली.
सुमित प्रताप सिंह
इटावा, दिल्ली, भारत
चित्र गूगल से साभार
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