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Wednesday, November 13, 2013

भगवान की भक्ति में भक्तों की अनदेखी

म सभी इन दिनों जिस बात की चर्चा ज्यादा कर रहे है. वो है क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर की टेस्ट क्रिकेट से विदाई. वो भी उनके २००वे टेस्ट के साथ, इस विदाई को यादगार बनाने के प्रयास में मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन अपनी पूरी ताक़त लगा रहे है. जैसी विदाई कोलकाता में पहले टेस्ट के बाद बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन ने दी उस से भी शानदार हो मुंबई की विदाई.क्योंकि मुंबई सचिन का गृहनगर है.पर इन सबके बीच बीसीसीआई और एमसीए कुछ भूल रहे है.दरअसल वो उन प्रशंसकों को भूल रहे है. जिनकी दुआओं की बदौलत आज सचिन इस मुकाम पर है.क्योंकि बीसीसीआई और एमसीए ने सभी जानीमानी हस्तियों और क्लबों,उद्योगजगत सिनेमाजगत सभी को इस मौके पर निमंत्रित तो कर लिया लेकिन वानखेड़े स्टेडियम की ४०हज़ार की क्षमता के बावजूद दर्शकों तक केवल लगभग तीन हज़ार टिकट ही पहुँचने दी. वो भी स्टेडियम की खिड़की पर तो नाममात्र की टिकट ही रखी. इस से ज्यादा बुरा हाल तो इंटरनेट से टिकट पाने वालों का हुआ. जहाँ आधे घंटे में ही वेबसाइट जाम हो गई...... प्रशंसकों के हाथ केवल मायूसी लगी. क्या इस मायूसी को कम करने का काम एमसीए के पदाधिकारियों को नहीं करना चाहिए. एमसीए का यह बर्ताव बेहद निंदनीय और शर्मनाक है. एक ओर प्रशंसक मायूस थे दूसरी ओर एक शानदार समारोह आयोजित कर एमसीए सचिन के सम्मान समारोह में मशगुल थी. जो उनकी प्रशंसकों के प्रति उनकी बेपरवाही का सबूत है.अब देखना दिलचस्प होगा कि क्रिकेट के भगवान् के प्रति भक्ति करने वाले मुंबई कि अति प्राचीन पहचान डिब्बेवालों की किस्मत स्टेडियम की टिकट पाने को लेकर कितना उनका कितना साथ देती है. क्या वो उन भाग्यशालियों में अपना नाम दर्ज करवा पाते है. यह देखना वाकई एक रोचक होगा.

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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!