बाबा का साक्षात्कार .... सिर्फ इस चैनल पर ........
प्रश्न .....बाबाजी आपके ऊपर यौन शोषण और दुष्कर्म के इलज़ाम लगे हैं, इस पर आपको क्या कहना है ?
बाबा जी ....आप लोगों की सांसारिक शब्दावली हमारे पल्ले नहीं पड़ती | आप लोग जिसे शोषण कहते हैं हमारे यहाँ उसी को पोषण कहा जाता है | और दुष्कर्म हम नहीं करते | हम तो बस कर्म करते हैं, जिसके आगे आप लोग दुर्भावना से ग्रसित होकर के दुष लगा देते हैं वैसे ये सब हमारे दुश्मनों का कर्म है हमें फंसाने केलिए |
प्रश्न .....बाबाजी आप गिरफ्तारी से बचने के लिए भागे - भागे क्यूँ फिर रहे हैं ?
बाबाजी .... मुर्ख प्राणी ! हम क्यूँ भागेंगे ? भागता तो आम इंसान है | हम बहुत पहुंचे हुए बाबा हैं | हम लोग अंतर्ध्यान हुआ करते हैं | जब मन करता है प्रकट हो जाते हैं |
प्रश्न ..... आपके आश्रम से अक्सर लड़के और लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार की ख़बरें आती रहती हैं | ऐसा क्यूँ है ?
बाबाजी .....इसे आप इस तरह से देखिये हमारे आश्रम में लिंग के आधार पर भेद नहीं किया जाता | आज जब सारा भारत लिंग - भेद जैसी समस्या से जूझ रहा है , ऐसे में हम ही हैं जिसके आश्रम में दोनों के साथ सामान रूप से शोषण .....माफ़ करना पोषण किया जाता है |
प्रश्न .....बाबाजी आपका कहना है कि वह लडकी मानसिक रूप से कमज़ोर है | इसमें कितनी सच्चाई है ?
बाबाजी ......जी, इस बात में बिलकुल सच्चाई है | हम दो तरह की महिलाओं का इलाज करते हैं ...एक वे जो मानसिक रूप से बीमार होती हैं, दूसरी वे जो मानसिक रूप से ठीक होती हैं | जो महिलाएं मानसिक रूप से कमज़ोर होती हैं वे हमारे इलाज से ठीक हो जाती हैं | ठीक होने वाली कभी मुंह नहीं खोलती | यही इस देश की महान परम्परा है | और जो मानसिक रूप से स्वस्थ होती हैं, हमारे इलाज के बाद मानसिक रूप से कमज़ोर हो जाती हैं | वे इस लायक ही नहीं रहती कि अपना मुंह खोल सकें | इस बार का केस गलत ले लिया | यह लडकी न पूरी तौर से बीमार थी और न ही स्वस्थ | इसी वजह से इतनी गफलत हो गयी |
प्रश्न ......तो आप इस बलात्कार के इलज़ाम को कुबूल करते हैं ?
बाबाजी .......आप लोग अभी खुद ही कॉन्फिडेंट नहीं हैं | कभी दुष्कर्म कहते हैं कभी बलात्कार | पहले ठीक से निर्णय लीजिये कि हमने क्या किया है तभी प्रश्न पूछिए |
प्रश्न .....बाबाजी ! निर्भया बलात्कार काण्ड के बाद आपने कहा था कि वह लडकी अगर उन बदमाशों को भैय्या बोल देती या राखी बाँध देती तो बलात्कार होता या नहीं, और आपने यह भी कहा था कि आपके पास ऐसा भी मन्त्र है जिसका जाप करने से बलात्कार जैसी घटनाएं होती ही नहीं | इस बारे में आपका क्या कहना है ?
बाबाजी ....एक बात तो इससे साफ़ हो जाती है कि मैं सदा से ही बलात्कार विरोधी रहा हूँ | मैं तो उस रात भी बालिका को वही चमत्कारी मन्त्र देने ही गया था ताकि वह आने वाले समय में बलात्कारियों से अपनी रक्षा कर सके | सारा विश्व जानता है कि कि हम बाबा लोग अक्सर देह से विदेह हो जाया करते हैं | हमारी आत्मा अक्सर हमारे स्थूल शरीर से बाहर निकल कर सूक्ष्म संसार में विचरण करने चली जाया करती है | उस दिन भी ऐसा ही हुआ था | हमारी आत्मा हमारी देह से विलग होकर इस पापी संसार में भ्रमण कर रही थी | संसार में होने वाले पाप और अपराधों को नज़दीक से देखकर उनके समाधान पर हम आध्यात्मिक दृष्टि से विचार करते हैं | उस दिन हमारी सांसारिक देह ने जो किया उसके हम ज़िम्मेदार कैसे हो सकते हैं ? हम हमेशा अपने प्रवचनों में यही बात जोर देकर कहा करते हैं कि मनुष्य की सदा अंतरात्मा के दर्शन करने चाहिए | भौतिक देह तो मात्र छलावा है |
प्रश्न ....आपके सत्संग में महिलाओं की भारी संख्या रहती है, इसके क्या कारण हैं ?
बाबाजी .....बहुत सही प्रश्न किया आपने | मेरा मानना है कि ये महिलाएं ही हैं जो किसी भी आम इंसान को परमेश्वर बना देती हैं | जब ये अपने पतियों से रात - दिन डांट- फटकार खाकर भी उसे परमेश्वर या भगवान् का दर्ज़ा दे सकती हैं तो हमारे पास तो ऐसी बोली है, जिसे हमने सालों - साल की प्रक्टिस के बाद मीठा बनाया है |
प्रश्न .....तो आप मानते हैं कि महिलाएं सच्ची श्रद्धालु होती हैं ?
बाबाजी ....देखिये, हमारा यह भी मानना है कि ये महिलाएं ही हैं जो किसी भी बाबा के भगवान् बन जाने की राह में रोड़े अटकाती हैं | जैसे ही कोई बाबा देवत्व को हासिल करने वाला होता है वैसे ही उस पर यौन शोषण का इलज़ाम लगा देती हैं | इन नासमझ महिलाओं की वजह से ही भारत भूमि संतों से खाली होती जा रही है | अगर महिलाएं चुप रह जाती तो हर गली - मोहल्ले में इतने बाबा होते कि आप अनुमान नहीं लगा पाते कि कौन बाबा है और कौन इंसान | जिसे इंसान समझते वह बाबा निकल जाता और जिसे बाबा समझते वह इंसान की तरह व्यवहार करने लगता |
प्रश्न .......बाबाजी ! प्राचीन काल में बाबा लोगों को बहुत आदर के साथ देखा जाता था | उनके चमत्कारों पर बहुत चर्चाएँ हुआ करती थीं | चमत्कारों के आधार पर लोग बाबा को भगवान् का दर्ज़ा दे दिया करते थे | आजकल ऐसा बहुत कम सुनने में आता है । इसके पीछे क्या कारण हो सकता है ?
बाबाजी ..... सही कहते हैं आप | प्राचीन काल से ही हम बाबा लोग इलाज की बहुत सारी विधियां जानते थे | औरतों के बांझपन का शर्तिया इलाज हमारे पास हुआ करता था | औरतें इलाज करा - करा कर थक जाती थी, निराश हो जाया करती थीं , तब हमारे पास आती थीं | हम बंद कमरे में उन्हें ऐसा आशीर्वाद देते थे कि वे सफलतापूर्वक गर्भधारण करती थीं | उनकी सूनी गोद हरी हो जाया करती थी | फिर वे हमारा प्रचार - प्रसार करती थीं | हमारे पास ऐसी औरतों की भीड़ लग जाया करती थी | हम सबका इलाज बारी - बारी से करते थे | मजाल है कि किसी की गोद सूनी रह जाए | बाद में युवक पढने - लिखने लगे | पड़ने - लिखने वाला इंसान शक्की हो जाया करता है | इन्हीं शक्की युवकों के वजह से आज सिद्ध इन्फरटिलीटी स्पेशियलिस्ट बाबाओं के क्लीनिक समाप्ति की कगार पर हैं | आज महिलाएं अपने इलाज में लाखों रुपया फूंक देती हैं फिर भी माँ नहीं बन पातीं | इससे अंत में नुकसान महिलाओं का ही होता है |
प्रश्न ..... लोगों का यह मानना है कि संत लोग पूजनीय होते हैं, समाज के आदर्श पुरुष होते हैं | उनके प्रवचनों को दुनिया सुनती है |
बाबाजी .....मनुष्य की आँख पर अज्ञान का पर्दा पड़ा हुआ है | हम लोग जब भी प्रवचन देते हैं उसे ध्यान से सुनना चाहिए | हम सिर्फ यह कहते हैं कि '' दुनिया में बहुत पाप बढ़ गया है '' हमने कभी यह नहीं कहा कि हम इस पाप में शामिल नहीं हैं | हम आम आदमी को इस दलदल से निकालने का कार्य करते हैं | हम जब व्यभिचार और भ्रष्टाचार को हटाने की बात करते हैं तो वह आम आदमी के बारे में होता है, हमारे बारे में नहीं |
प्रश्न .......बाबाजी ! सुना है आप अपनी पिछली ज़िंदगी में शराब बेचते थे | इस बात में कितनी सच्चाई है ?
बाबाजी .....शराब कहकर आप हमारा अपमान कर रहे हैं | जिसे आम भाषा में शराब कहा जाता है, हमारी भाषा में उसे सोमरस कहा जाता है | हाँ, हम सोमरस बेचते थे | सोमरस बेचते - बेचते ही हमें ज़िंदगी के इस असली रस का बोध हुआ | हमने ये जाना कि ज़िंदगी का असली रस इसी धंधे से निचोड़ा जा सकता है |
प्रश्न .....मीडिया की भूमिका के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे ?
बाबाजी ..... मीडिया से मुझे बहुत शिकायत है | इसे आज मेरे चरित्र प्रमाण पत्र की याद आई है, जबकि इस बाबागीरी के धंधे में चरित्र की नहीं बल्कि चर्चित होने की ज़रुरत होती है | आप कैसी भी नौकरी उठा कर देख लीजिये, हर जगह आपसे चरित्र प्रमाण पत्र की मांग की जाती है | एक यही नौकरी है जहाँ चरित्र पोल खुलने के बाद देखा जाता है |
प्रश्न .....क्या आपको लगता है कि अब आप गिरफ्तार हो जाएंगे ?
बाबाजी ......हमें कौन गिरफ्तार कर सकता है भला ? वह अलग बात है कि हम खुद गिरफ्तार हो जाएंगे | हम चाहते हैं कि लोग हमें आम इंसान समझें | हम अपनी शक्तियां आपातकाल के लिए सुरक्षित रखते हैं | आपको याद होगा हमारे मन्त्रों के जाप से हैलीकॉप्टर गिर जाने के बाद भी हमारे भक्तों को खरोंच तक नहीं आई थी, जबकि हैलीकॉप्टर टुकड़े - टुकड़े हो गया था | ऐसी अद्भुद मन्त्र शक्ति है हमारे पास | हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता | हम जब जेल से उकता जाएंगे, बाहर आ जाएँगे |
प्रश्न ...... आप लोगों की नज़रों में नायक से खलनायक हो गए | देश भर में आपका विरोध बढ़ता जा रहा है |
बाबाजी ......पहले आप ये बताइए कि लोगों का विरोध किस बात पर है ? लोग चाहते क्या हैं ? वे स्वयं ही निश्चय नहीं कर पा रहे हैं कि विरोध किस बात पर करना है ? किसी भी स्त्री के बलात्कार पर ? नाबालिग के बलात्कार पर या एक बाबा द्वारा बलात्कार किये जाने पर ? वे कह रहे हैं कि एक संत को ऐसा काम शोभा नहीं देता, यह काम तो उन्हें शोभा देता । ऐसे लोगों के विरोध को मैं सीरियसली नहीं लेता ।
इतना कहकर बाबा अंतर्ध्यान हो गए ।
प्रश्न .....बाबाजी आपके ऊपर यौन शोषण और दुष्कर्म के इलज़ाम लगे हैं, इस पर आपको क्या कहना है ?
बाबा जी ....आप लोगों की सांसारिक शब्दावली हमारे पल्ले नहीं पड़ती | आप लोग जिसे शोषण कहते हैं हमारे यहाँ उसी को पोषण कहा जाता है | और दुष्कर्म हम नहीं करते | हम तो बस कर्म करते हैं, जिसके आगे आप लोग दुर्भावना से ग्रसित होकर के दुष लगा देते हैं वैसे ये सब हमारे दुश्मनों का कर्म है हमें फंसाने केलिए |
प्रश्न .....बाबाजी आप गिरफ्तारी से बचने के लिए भागे - भागे क्यूँ फिर रहे हैं ?
बाबाजी .... मुर्ख प्राणी ! हम क्यूँ भागेंगे ? भागता तो आम इंसान है | हम बहुत पहुंचे हुए बाबा हैं | हम लोग अंतर्ध्यान हुआ करते हैं | जब मन करता है प्रकट हो जाते हैं |
प्रश्न ..... आपके आश्रम से अक्सर लड़के और लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार की ख़बरें आती रहती हैं | ऐसा क्यूँ है ?
बाबाजी .....इसे आप इस तरह से देखिये हमारे आश्रम में लिंग के आधार पर भेद नहीं किया जाता | आज जब सारा भारत लिंग - भेद जैसी समस्या से जूझ रहा है , ऐसे में हम ही हैं जिसके आश्रम में दोनों के साथ सामान रूप से शोषण .....माफ़ करना पोषण किया जाता है |
प्रश्न .....बाबाजी आपका कहना है कि वह लडकी मानसिक रूप से कमज़ोर है | इसमें कितनी सच्चाई है ?
बाबाजी ......जी, इस बात में बिलकुल सच्चाई है | हम दो तरह की महिलाओं का इलाज करते हैं ...एक वे जो मानसिक रूप से बीमार होती हैं, दूसरी वे जो मानसिक रूप से ठीक होती हैं | जो महिलाएं मानसिक रूप से कमज़ोर होती हैं वे हमारे इलाज से ठीक हो जाती हैं | ठीक होने वाली कभी मुंह नहीं खोलती | यही इस देश की महान परम्परा है | और जो मानसिक रूप से स्वस्थ होती हैं, हमारे इलाज के बाद मानसिक रूप से कमज़ोर हो जाती हैं | वे इस लायक ही नहीं रहती कि अपना मुंह खोल सकें | इस बार का केस गलत ले लिया | यह लडकी न पूरी तौर से बीमार थी और न ही स्वस्थ | इसी वजह से इतनी गफलत हो गयी |
प्रश्न ......तो आप इस बलात्कार के इलज़ाम को कुबूल करते हैं ?
बाबाजी .......आप लोग अभी खुद ही कॉन्फिडेंट नहीं हैं | कभी दुष्कर्म कहते हैं कभी बलात्कार | पहले ठीक से निर्णय लीजिये कि हमने क्या किया है तभी प्रश्न पूछिए |
प्रश्न .....बाबाजी ! निर्भया बलात्कार काण्ड के बाद आपने कहा था कि वह लडकी अगर उन बदमाशों को भैय्या बोल देती या राखी बाँध देती तो बलात्कार होता या नहीं, और आपने यह भी कहा था कि आपके पास ऐसा भी मन्त्र है जिसका जाप करने से बलात्कार जैसी घटनाएं होती ही नहीं | इस बारे में आपका क्या कहना है ?
बाबाजी ....एक बात तो इससे साफ़ हो जाती है कि मैं सदा से ही बलात्कार विरोधी रहा हूँ | मैं तो उस रात भी बालिका को वही चमत्कारी मन्त्र देने ही गया था ताकि वह आने वाले समय में बलात्कारियों से अपनी रक्षा कर सके | सारा विश्व जानता है कि कि हम बाबा लोग अक्सर देह से विदेह हो जाया करते हैं | हमारी आत्मा अक्सर हमारे स्थूल शरीर से बाहर निकल कर सूक्ष्म संसार में विचरण करने चली जाया करती है | उस दिन भी ऐसा ही हुआ था | हमारी आत्मा हमारी देह से विलग होकर इस पापी संसार में भ्रमण कर रही थी | संसार में होने वाले पाप और अपराधों को नज़दीक से देखकर उनके समाधान पर हम आध्यात्मिक दृष्टि से विचार करते हैं | उस दिन हमारी सांसारिक देह ने जो किया उसके हम ज़िम्मेदार कैसे हो सकते हैं ? हम हमेशा अपने प्रवचनों में यही बात जोर देकर कहा करते हैं कि मनुष्य की सदा अंतरात्मा के दर्शन करने चाहिए | भौतिक देह तो मात्र छलावा है |
प्रश्न ....आपके सत्संग में महिलाओं की भारी संख्या रहती है, इसके क्या कारण हैं ?
बाबाजी .....बहुत सही प्रश्न किया आपने | मेरा मानना है कि ये महिलाएं ही हैं जो किसी भी आम इंसान को परमेश्वर बना देती हैं | जब ये अपने पतियों से रात - दिन डांट- फटकार खाकर भी उसे परमेश्वर या भगवान् का दर्ज़ा दे सकती हैं तो हमारे पास तो ऐसी बोली है, जिसे हमने सालों - साल की प्रक्टिस के बाद मीठा बनाया है |
प्रश्न .....तो आप मानते हैं कि महिलाएं सच्ची श्रद्धालु होती हैं ?
बाबाजी ....देखिये, हमारा यह भी मानना है कि ये महिलाएं ही हैं जो किसी भी बाबा के भगवान् बन जाने की राह में रोड़े अटकाती हैं | जैसे ही कोई बाबा देवत्व को हासिल करने वाला होता है वैसे ही उस पर यौन शोषण का इलज़ाम लगा देती हैं | इन नासमझ महिलाओं की वजह से ही भारत भूमि संतों से खाली होती जा रही है | अगर महिलाएं चुप रह जाती तो हर गली - मोहल्ले में इतने बाबा होते कि आप अनुमान नहीं लगा पाते कि कौन बाबा है और कौन इंसान | जिसे इंसान समझते वह बाबा निकल जाता और जिसे बाबा समझते वह इंसान की तरह व्यवहार करने लगता |
प्रश्न .......बाबाजी ! प्राचीन काल में बाबा लोगों को बहुत आदर के साथ देखा जाता था | उनके चमत्कारों पर बहुत चर्चाएँ हुआ करती थीं | चमत्कारों के आधार पर लोग बाबा को भगवान् का दर्ज़ा दे दिया करते थे | आजकल ऐसा बहुत कम सुनने में आता है । इसके पीछे क्या कारण हो सकता है ?
बाबाजी ..... सही कहते हैं आप | प्राचीन काल से ही हम बाबा लोग इलाज की बहुत सारी विधियां जानते थे | औरतों के बांझपन का शर्तिया इलाज हमारे पास हुआ करता था | औरतें इलाज करा - करा कर थक जाती थी, निराश हो जाया करती थीं , तब हमारे पास आती थीं | हम बंद कमरे में उन्हें ऐसा आशीर्वाद देते थे कि वे सफलतापूर्वक गर्भधारण करती थीं | उनकी सूनी गोद हरी हो जाया करती थी | फिर वे हमारा प्रचार - प्रसार करती थीं | हमारे पास ऐसी औरतों की भीड़ लग जाया करती थी | हम सबका इलाज बारी - बारी से करते थे | मजाल है कि किसी की गोद सूनी रह जाए | बाद में युवक पढने - लिखने लगे | पड़ने - लिखने वाला इंसान शक्की हो जाया करता है | इन्हीं शक्की युवकों के वजह से आज सिद्ध इन्फरटिलीटी स्पेशियलिस्ट बाबाओं के क्लीनिक समाप्ति की कगार पर हैं | आज महिलाएं अपने इलाज में लाखों रुपया फूंक देती हैं फिर भी माँ नहीं बन पातीं | इससे अंत में नुकसान महिलाओं का ही होता है |
प्रश्न ..... लोगों का यह मानना है कि संत लोग पूजनीय होते हैं, समाज के आदर्श पुरुष होते हैं | उनके प्रवचनों को दुनिया सुनती है |
बाबाजी .....मनुष्य की आँख पर अज्ञान का पर्दा पड़ा हुआ है | हम लोग जब भी प्रवचन देते हैं उसे ध्यान से सुनना चाहिए | हम सिर्फ यह कहते हैं कि '' दुनिया में बहुत पाप बढ़ गया है '' हमने कभी यह नहीं कहा कि हम इस पाप में शामिल नहीं हैं | हम आम आदमी को इस दलदल से निकालने का कार्य करते हैं | हम जब व्यभिचार और भ्रष्टाचार को हटाने की बात करते हैं तो वह आम आदमी के बारे में होता है, हमारे बारे में नहीं |
प्रश्न .......बाबाजी ! सुना है आप अपनी पिछली ज़िंदगी में शराब बेचते थे | इस बात में कितनी सच्चाई है ?
बाबाजी .....शराब कहकर आप हमारा अपमान कर रहे हैं | जिसे आम भाषा में शराब कहा जाता है, हमारी भाषा में उसे सोमरस कहा जाता है | हाँ, हम सोमरस बेचते थे | सोमरस बेचते - बेचते ही हमें ज़िंदगी के इस असली रस का बोध हुआ | हमने ये जाना कि ज़िंदगी का असली रस इसी धंधे से निचोड़ा जा सकता है |
प्रश्न .....मीडिया की भूमिका के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे ?
बाबाजी ..... मीडिया से मुझे बहुत शिकायत है | इसे आज मेरे चरित्र प्रमाण पत्र की याद आई है, जबकि इस बाबागीरी के धंधे में चरित्र की नहीं बल्कि चर्चित होने की ज़रुरत होती है | आप कैसी भी नौकरी उठा कर देख लीजिये, हर जगह आपसे चरित्र प्रमाण पत्र की मांग की जाती है | एक यही नौकरी है जहाँ चरित्र पोल खुलने के बाद देखा जाता है |
प्रश्न .....क्या आपको लगता है कि अब आप गिरफ्तार हो जाएंगे ?
बाबाजी ......हमें कौन गिरफ्तार कर सकता है भला ? वह अलग बात है कि हम खुद गिरफ्तार हो जाएंगे | हम चाहते हैं कि लोग हमें आम इंसान समझें | हम अपनी शक्तियां आपातकाल के लिए सुरक्षित रखते हैं | आपको याद होगा हमारे मन्त्रों के जाप से हैलीकॉप्टर गिर जाने के बाद भी हमारे भक्तों को खरोंच तक नहीं आई थी, जबकि हैलीकॉप्टर टुकड़े - टुकड़े हो गया था | ऐसी अद्भुद मन्त्र शक्ति है हमारे पास | हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता | हम जब जेल से उकता जाएंगे, बाहर आ जाएँगे |
प्रश्न ...... आप लोगों की नज़रों में नायक से खलनायक हो गए | देश भर में आपका विरोध बढ़ता जा रहा है |
बाबाजी ......पहले आप ये बताइए कि लोगों का विरोध किस बात पर है ? लोग चाहते क्या हैं ? वे स्वयं ही निश्चय नहीं कर पा रहे हैं कि विरोध किस बात पर करना है ? किसी भी स्त्री के बलात्कार पर ? नाबालिग के बलात्कार पर या एक बाबा द्वारा बलात्कार किये जाने पर ? वे कह रहे हैं कि एक संत को ऐसा काम शोभा नहीं देता, यह काम तो उन्हें शोभा देता । ऐसे लोगों के विरोध को मैं सीरियसली नहीं लेता ।
इतना कहकर बाबा अंतर्ध्यान हो गए ।
रचनाकार: शेफाली पाण्डे
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यहाँ तक आएँ हैं तो कुछ न कुछ लिखें
जो लगे अच्छा तो अच्छा
और जो लगे बुरा तो बुरा लिखें
पर कुछ न कुछ तो लिखें...
निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!