ढल गया आफ़ताब
चलो मयकदे चलें,
ज़िन्दगी हुई बदरंग
चलो मयकदे चलें,
बरसों बाद आई है हिचकी,
चलो मयकदे चलें,
उन्होंने याद भी न किया हो
चलो मयकदे चलें,
सुबह से हो गयी शाम
चलो मयकदे चलें,
चलो मयकदे चलें,
सोचता रहा रात भर उनको
चलो मयकदे चलें,
आयी ने एक पल भी उनकी याद
चलो मयकदे चलें|
रविश 'रवि'
फरीदाबाद, हरियाणा
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