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Monday, September 2, 2013

चलो मयकदे चलें

ढल गया आफ़ताब
चलो मयकदे चलें
ज़िन्दगी हुई बदरंग
चलो मयकदे चलें,


बरसों बाद आई है हिचकी,
चलो मयकदे चलें,
उन्होंने याद भी  किया हो
चलो मयकदे चलें,

सुबह से हो गयी शाम
चलो मयकदे चलें,
शब में चढ़ी थी, सहर में उतर गयी
चलो मयकदे चलें,

सोचता रहा रात भर उनको
चलो मयकदे चलें,
आयी ने एक पल भी उनकी याद
चलो मयकदे चलें|


रविश 'रवि'

फरीदाबाद, हरियाणा 

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