चित्र गूगल से सप्रेम |
प्यार का नाम बचा है तो बस किताबों में
इश्क की खुशबू भी बाकी नहीं गुलाबों में
कोई तेज़ाब कहीं डाल न दे चेहरे पर
हुश्न डर-डर के निकलता है अब हिज़ाबों में
लेखक- सुमित प्रताप सिंह
मित्रो सादर ब्लॉगस्ते! आप यहाँ तक आएँ हैं तो निराश होकर नहीं जाएँगे I यहाँ आपको 99% उत्कृष्ट लेखन पढ़ने को मिलेगा I सादर ब्लॉगस्ते पर प्रकाशित रचनाएँ संपादक, संचालक अथवा रचनाकार की अनुमति के बिना कहीं और प्रकाशित करने का प्रयास न करें I अधिक जानकारी के लिए shobhanawelfare@gmail.com पर संपर्क करें I धन्यवाद... निवेदक - सुमित प्रताप सिंह, संपादक - सादर ब्लॉगस्ते!
वाह बहुत सुंदर ...
ReplyDelete