पन्द्रह अगस्त पर
आज़ादी है त्रस्त
जनता अभावग्रस्त
अफसर-नेता मस्त।
गुस्से से ऐंठे लोग
घर में छुप कर बैठे लोग
भूखे पेट बन्दूक लिए
देखो कैसे-कैसे लोग
कर्फ्यू के बीच में
पुलिस जन की गश्त।
क़र्ज़ से मरते किसान
सस्ता हुआ इंसान
नीची जात, ऊंची जात
दोनों के जल गए मकान
पवन चली मंद-मंद
हो कर भयग्रस्त।
घर में पिटी
बाहर लुटी
देखने को उसे
भीड़ जुटी
बीस रुपये में
श्यामा बिक गई
खुशी में मनाएँ
चलो पन्द्रह अगस्त।
AZADI MILNE KE BAD BHARTIYE JANTA KI DASHA KA SUNDER CHITRAN KARTI UTTAM BHAW LIYE BEHAD KHOOBSURAT KAVYA RACHNA. BADHAI HO SUMIT JI.
ReplyDeleteशुक्रिया अमर जी...
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