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Tuesday, September 30, 2014

कहानी : कमीना

   ज्जन मियाँ काफी समय से सड़क पर परेशान खड़े हुए थे। वहाँ से गुजरती हुई हर गाड़ी को रोकने की उन्होंने लाख कोशिश कर ली थी, लेकिन उन्हें निराशा ही मिली। कोई भी दुपहिया, तिपहिया या चौपहिया उनकी वेशभूषा देखकर रुकने को तैयार नहीं था। ज्यों-ज्यों रात बढ़ रही थी, छज्जन मियां के दिल की धडकनें भी तेज होती जा रहीं थी। अब उन्हें यह अहसास होने लगा था, कि जितना वो सोचते थे दुनिया उससे कुछ ज्यादा ही निर्दयी थी। एक मुसीबत के मारे को कोई भी मदद करने को तैयार नहीं हो रहा था। वो सोच रहे थे, कि जाने किस घड़ी में उनसे जाने क्या पाप हुआ होगा, जो आज उन्हें यह दिन देखना पड़ रहा था। समय गुजरने के साथ-साथ रात अँधेरे की चादर ओढ़ते हुए और काली और घनी होती जा रही थी। जैसे-जैसे रात बढती जा रही थी, वैसे-वैसे सड़क सुनसान होती जा रही थी। अब छज्जन मियाँ डरते-डरते ऊपरवाले को याद करने लगे। धीमे-धीमे वो विश्व में मौजूद ईश्वर के सभी रूपों का स्मरण करने लगे। आखिर उनकी मेहनत और दुआएँ रंग लाईं और एक मोटर साइकिल उनकी मदद  के लिए उनके पास आकर रुकी। उन्होंने ऊपरवाले का शुक्रिया किया और मोटरसाइकिल पर सवार हो गए।
अब छज्जन मियां तनावमुक्त हो मोटर साइकिल पर पीछे बैठ चले जा रहे थे।
तभी मोटर साइकिल सवार ने उनसे पूछा, "आप इतनी रात को यहाँ क्या कर रहे थे?"
ऐसा लगा कि उस आदमी ने  छज्जन मियां  की दुखती रग पर हाथ रख दिया हो। छज्जन मियाँ नाराजगी और गुस्से के मिले-जुले भाव संग बोले, "क्या बताएँ हुजूर दुकान बंद करके घर को आ रहे थे, पर रास्ते मे पुलिसवाले मिल गये और हमारी गाड़ी ही जब्त कर ली।" "पुलिसवालों ने आपकी गाड़ी क्यों जब्त कर ली?" मोटर साइकिल सवार ने पूछा। 
छज्जन मियाँ अपनी टोपी संभालते हुए बोले, "अम्माँ क्या बताएँ जरा जल्दी में थे, सो लाल बत्ती पार कर ली थी और अपन हैलमेट तो कभी पहनते नहीं है सो पकड़ लिया हमें।"
मोटर साइकिल सवार बोला; अरे पकड़ लिया तो चालान कटवा लेते। कम से कम गाड़ी तो जब्त न होती।"
"चालान और हमारा। अरे हम तो उलझ गये उनसे हमने साफ़ कह दिया कि एक फूटी कौड़ी नहीं देंगे उनको और उन्हें नौकरी खराब करवाने की धमकी भी दे डाली। बदले में उन नामुरादों ने हमारे गाल पर दो-चार झापड़ रसीद कर दिये और हमारी गाड़ी भी जब्त कर ली। खैर उन्हें भी हम देख लेंगे।" इतना कहकर छज्जन मियां दुखी हो अपने गालों पर हाथ फेरते हुए सहलाने लगे।
"मतलब आपने गलती की और उसकी आपको सजा भी मिली।" मोटर साइकिल सवार हँसते हुए बोला। 
छज्जन मियाँ झल्लाते हुए बोले, “गलती अमाँ जल्दबाजी में रेड लाइट देखता कौन है?”
“अगर सभी आपकी तरह सोचने लगेंगे तो सड़कें तो मछली बाज़ार बन जाएँगी” मोटर साइकिल सवार ने मुस्कुराते हुए कहा
छज्जन मियाँ खिलखिला उठे, “अमाँ आप ने भी उदारहण तो जबरदस्त दिया मछली बाज़ार हा हा हा
“इसमें हँसने की बात नहीं बल्कि गौर करने वाली बात है हम सबको जिम्मेदार शहरी बनना चाहिए अगर हम सब सड़क पर अनुशासन से चलेंगे तो सड़कें अपने आप सुरक्षित रहेंगी” मोटर साइकिल सवार ने उन्हें समझाया
छज्जन मियाँ ने उनकी बात में पहली बार रूचि दिखाई, “मियाँ आप बात तो पते की कह रहे हैं
“एक और बात पर ध्यान दीजिए आप हेलमेट पहनने से ऐतराज करते हैं हेलमेट से आपके सिर की सुरक्षा होती न कि पुलिसवालों की सोचिये किसी दिन आपका किसी गाड़ी से एक्सीडेंट हो जाए और आपका बिना हेलमेट पहने सिर सड़क से टकराएगा तो वह तो तरबूज की तरह फट जाएगा” मोटर साइकिल सवार ने अपनी राय रखी
छज्जन मियाँ थोड़े से डर गए, “हुजूर एक तो ये रात वैसे ही इतनी भयानक है ऊपर से आप और हमें डराए जा रहे हैं
“अजी हम डरा कहाँ रहे हैं? आप ही बिना बात के डरे जा रहे हैं” यह कहकर मोटर साइकिल सवार ने ठहाका लगाया
छज्जन मियाँ ने भी उसकी हँसी में साथ दिया, “वैसे आप इंसान हैं मजेदार
“आज शायद आपकी संगत का असर हो गया है” उसने छज्जन मियाँ को खुश करने की कोशिश की
छज्जन मियाँ शरमाते हुए बोले,”हाँ वो तो है हमारे साथ वाले अक्सर इस डायलोग को इस्तेमाल करते रहते हैं
“इसका मतलब मैंने आपको गलत नहीं पहचाना” मोटर साइकिल सवार बोला
छज्जन मियाँ कुछ गंभीर होकर बोले, “आदमी आप समझदार लगते हैं
“अजी बस थोड़ा बहुत आप जैसे समझदारों के साथ रह-रहकर समझदारी आ गई वैसे एक बात तो बताइए” मोटर साइकिल सवार ने पीछे मुँह करके छज्जन मियाँ से पूछा
छज्जन मियाँ उत्सुक हो गए, “हाँ हाँ अमाँ एक क्यों दो सवाल पूछिए
“दो नहीं बस एक ही सवाल है आपसे” मोटर साइकिल सवार बोला
छज्जन मियाँ ने गंभीरता का आवरण धरा, “चलिए तो एक ही पूछिए
“आप इतने मजेदार इंसान हैं फिर भी आपकी पुलिसवालों के साथ झड़प क्यों हो गई? आप उनसे प्यार से भी तो निबट सकते थे?” मोटर साइकिल सवार ने अपना सवाल पूछ ही डाला
छज्जन मियाँ को पुलिसवालों द्वारा उनके गालों पर जड़े गए चांटे फिर याद आ गए, “अमाँ प्यार से तो तभी निबटते जब पुलिसवाले निबटने देते
“अजी आपने प्यार से निबटने की कोशिश ही नहीं की होगी” मोटर साइकिल वाले ने अपनी ठोस राय रखी
छज्जन मियां मुँह बनाते हुए बोले, "हुजूर आप जो भी समझें, लेकिन ये पुलिसवाले होते बहुत कमीने हैं। इनमें इंसानियत नाम की कोई चीज नहीं होती।"
"लेकिन आप यह भी जानते होंगें कि सब उंगलियाँ बराबर नहीं होती।" मोटर साइकिल सवार ने उन्हें समझाते हुए बोला।
 "अरे जाने भी दीजिए। सभी पुलिसवाले एक नंबर के हरामी होते हैं। अच्छा यहीं रोक लीजिए यहाँ से कुछ दूर ही अपना घर है।" मोटर साइकिल से उतरकर "देखिए हमारा नाम छज्जन मियां है। दरिया गंज में अपनी औजारों की एक छोटी दुकान हैं। कभी खिदमत का मौका ज़रूर दीजिएगा। आप बहुत भले आदमी लगते है। वैसे आपका नाम क्या है?" 
मोटर साइकिल सवार बोला, "जी मेरा नाम कमीना है। वैसे आप मुझे हरामी भी कह सकते हैं।"  
छज्जन मियां चौककर बोले, "अमाँ यार मजाक अच्छा कर लेते हैं।" 
मोटर साइकिल सवार हँसते हुए बोला, "मजाक नहीं कर रहा हूँ। चूँकि मैं भी एक पुलिसवाला हूँ और आपके लिए पुलिसवाले कमीने और हरामी ही तो हैं।"

इतना सुनते ही छज्जन मियां ने झेंपते हुए अपनी नज़रें झुका लीं।

सुमित प्रताप सिंह
इटावा, नई दिल्ली, भारत 
*चित्र गूगल बाबा से साभार 

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