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Tuesday, January 15, 2013

शोभना काव्य सृजन पुरस्कार प्रविष्टि संख्या - 23

विषय: नारी शोषण

ऐसी घटना घटी कि हर दिल जख्मी है
हर आँख रोई पूरा देश शर्मसार है |
बहनों की बेटियों की आबरू से खेलते हैं
कैसा है रिवाज़ और कैसा संस्कार है |
ऐसा पाप वही कर सकता है जो कि या तो
तन से बीमार है या मन से बीमार है |
ऐसे कृत्य की सजा भी सिर्फ कुछ साल की है
कैसा है क़ानून जाने कैसी सरकार है |

पूरे देश की तरफ से मैं मांग करता हूँ
आप से निवेदन है मांग मान लीजिये |
ऐसा ही रवैया रहेगा तो फिर सरकार
              गिर जायेगी ये आप सत्य जान लीजिये |        
दुष्कर्मियों ने जो भी दामिनी के साथ किया
इनके भी साथ ठीक वैसा काम कीजिये |
सालों-साल इन पर केस ना चलियेगा
हाथों-हाथ चौराहों पे फांसी टांग दीजिये|
रचनाकार: श्री अनुराग शुक्ल
 दिल्ली-6

4 comments:

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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!