सादर ब्लॉगस्ते पर आपका स्वागत है।

Monday, September 24, 2012

पत्नी पर दुमदार दोहे



*चित्र गूगल से साभार*

कुछ दोहे उसके लिये, जो जीवन सौगात 
आजीवन चंदा बना, मैं जिसका अहिवात
                        गले का मंगल धागा.

पत्नी धुँधली साँझ है, घर की फटती पौ 
घर की अक्षत दूब है, दीया की है लौ
                   सुधा की पावन प्रतिमा.

पत्नी घर की गोमती, घर की अमृत धार
सिंचित करती ही रही, एक अमित परिवार
                     जुटाकर स्नेहित पानी.

पत्नी घर की नींद है,पत्नी घर की आग
रागों की है रागिनी, खटकों का खटराग 
                    स्नेह की अविरल गंगा.

पत्नी पुलकित पूर्णिमा, पत्नी मावस रात
अँधियारी ही जानती, पत्नी की औकात
                     एक आँगन का दर्पण.


रचनाकार- श्री शिवानंद सिंह "सहयोगी"


संपर्क-  "शिवभा" ए- 233, गंगानगर, मवाना मार्ग, मेरठ- 250001
दूरभाष- 09412212255, 0121-2620880

7 comments:

  1. bahut sundar rachna ...
    patni ka maan badhati ...!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया अनुपमा त्रिपाठी जी.

      Delete
  2. वाह ! बहुत ही शानदार और बढ़िया|

    ReplyDelete
    Replies
    1. रतन सिंह शेखावत जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.

      Delete
  3. ज्यातर कवियों ने पत्नी पर व्यंग्य बाण ही चलाये है.शिवानंद जी ने पत्नी के संबंध को गरिमा प्रदान की है,उनकी इस सोच को नमन करता हूँ.

    ReplyDelete

यहाँ तक आएँ हैं तो कुछ न कुछ लिखें
जो लगे अच्छा तो अच्छा
और जो लगे बुरा तो बुरा लिखें
पर कुछ न कुछ तो लिखें...
निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!