*चित्र गूगल से साभार*
जीवन, आदमी का अगर
पानी का बुलबुला है
आदमी, फिर क्यों
तूफान से टकराने चला है
अवसादों का गहरा
असीम सागर है-अगर जीवन
लहर-लहर इसकी गीत है क्यों
और गीत जो चुलबुला है.
पाँव के नीचे धरती है-आदमी के
आकाश बाँहों में
सभी कुछ तो है, आदमी का
आदमी के लिए
जीत का सिलसिला है
कौन कहता जीवन आदमी का
बढ़िया रचना
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