(सादर ब्लॉगस्ते परिवार की ओर से गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ)
श्रीगणेश की प्रसन्नता के बिना अन्य देवी-देवता भी कृपा नहीं बरसाते हैं। जो भक्त गणपति का विधिवत पूजन करता है उससे महालक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। ऐसे व्यक्ति को जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। 19 सितंबर से दसदिवसीय गणेशोत्सव प्रारंभ हो रहा है और इन दिनों की गई श्रीगणेश की विधिवत पूजा से हमारी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। गणपति का अर्थ है दिशाओं के गणों के स्वामी। गणेशजी की आज्ञा के बिना किसी भी दिशा से किसी भी देवता का आवाहन नहीं हो सकता। इसीलिए मंगल काम से पूर्व गणेश पूजा की जाती है। तुलसीदास ने बालकांड में लिखा है- 'जो सुमिरत सिधि होई, गणनायक करिबर बदन। करउ अनुग्रह सोई बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।' स्कंद पुराण में कहा गया है जब मां पार्वती मानसरोवर में स्नान करने जा रहीं थी तो उन्होंने अपने पुत्र गणेश को पहरा देने के लिए द्वार पर बैठा दिया। उसी समय भगवान शंकर वहां आए। गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इससे क्रोधित हो शिवजी ने उनका सिर काट दिया। पार्वतीजी को इसका पता चलने पर उन्होंने शिवजी से बालक गणेश को फिर जीवित करने को कहा। तब सबसे पहले हाथी का सिर शिवजी को मिला। उसे लगाकर शिवजी ने गणेशजी को जीवित कर दिया गया। तभी से गणेशजी को गजानन कहा जाने लगा। गणेशजी का सिर हाथी का है। उनका मस्तिष्क धीरज रखने वाली गंभीर प्रवृत्ति का संकेत देता है। यह बुद्धि, विवेकशीलता, कुशाग्रता का द्योतक है। छोटी आंखें भाव प्रदर्शित करती हैं। छोटी आंखों के व्यक्ति दूसरों के भाव समझ लेते हैं और उनके भाव दूसरे नहीं समझ पाते। यानी छोटी आंखें सूक्ष्म दृष्टि के बारे में बताती हैं। लंबे और सूपाकार कान बताते हैं कि दूसरों की बात सुनने के लिए कान हमेशा खुले रखें। सूप अनाज साफ करने के लिए काम आता है। यानी सुनें सबकी लेकिन झूठ-सच को जानकर सच को ग्रहण करें। हाथी शक्तिशाली और स्वाभिमानी होता है। यानी व्यक्ति को आर्थिक-शारीरिक शक्तिशाली होने के साथ स्वाभिमानी भी होना चाहिए। गणेश का एक नाम लंबोदर (उदर लंबा) है। यानी उनसे बात को हजम करना सीखें। गणेशजी के पैर छोटे, शरीर बड़ा है। यानी कामेन्द्रियों पर अंकुश रखने की शक्ति व्यक्ति में होनी चाहिए। गणेशजी का खंडित दांत बुद्धि का प्रतीक है, अर्थात व्यक्ति भले ही कभी भ्रमित हो जाए परंतु उसकी आस्था और श्रद्धा कभी भी नहीं डगमगानी चाहिए। दूसरा साबुत दांत अखंड श्रद्धा व आस्था का प्रतीक है। गणपति को प्रसन्न करने के लिए 'गं गणपतये नम:' का जप करें। गणेशजी को साबूत हरा मूंग, गुड़, गुड़हल का फूल चढ़ाने से समृद्धि आती है। धन प्राप्ति के लिए गणपति अष्टोत्तर नामावली और श्री गणपति स्रोत का रोजाना पाठ करना चाहिए। यदि कर्ज अधिक हो तो रोजाना ऋणहर्ता गणेश स्रोत का पाठ और यदि संकट अधिक हों तो संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें। गणेश प्रतिमा दो रूपों में मिलती है- 1. बायें हाथ की ओर सूंड वाली प्रतिमा। 2. दाहिने हाथ की ओर सूंड वाली प्रतिमा। दाहिने हाथ के सूंड वाले गणेशजी का तंत्रोक्त रूप है। यदि ऐसी प्रतिमा घर, कार्य स्थल पर है और उसकी रोज पूजा न हो तो बुद्धि और धन की हानि होती है। विवाह संबंधी अड़चनों को दूर करने के लिए हरिद्रा गणपति की पूजा करके लाजा से होम करने से लाभ होगा।
प्रस्तुति: प्रशांत कुमार
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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
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