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Monday, September 17, 2012

अंग्रेज चले गये


चित्र गूगल बाबा से साभार 
अंग्रेज चले गये
'अब हम आजाद हैं'
दादाजी ने कहा

पिता ने भी कहा

मां ने समझाया

भाई ने फटकारा
लेकिन वह
चुप रहा।

दादाजी ने
घर पर दिन-भर
अंग्रेजी का अखबार पढ़ा।

पिता ने
दफ्तर में चपरासी को
अंग्रेजी में फटकारा।

मां ने
स्कूल में भारत का इतिहास
अंग्रेजी में पढ़ाया।

भाई ने
खादी-भंडार के
उद्घाटन समारोह में
विलायती सूट पहनकर
खादी का महत्व समझाया।

उसने कहा
'थू'
सब बकवास है ।
**************

5 comments:

  1. आज ही पहली बार आप का ब्लाग देखा है। जल्दी में कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करना चाहता। रचना अच्छी है।

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  2. बहुत बढ़िया व्यंग्य रचना

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  3. धन्यवाद! द्विवेदी जी.वॆसे जल्दबाजी में कोई काम करने के पक्ष में,मॆं भी नहीं हूँ.थोड़ा करो,लेकिन तसल्ली से.

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  4. भाई शेखावत व सुमन जी! आपको रचना पसंद आई,धन्यवाद! वॆसे मेरी उक्त रचना व ’राजमाता हिन्दी की सवारी’ तथा ’हिन्दी-पखवाड़ा’ कवितायें,पिछले वर्ष-ई-पत्रिका’अनुभूति’में प्रकाशित हो चुकी हॆं.सुमित भाई का ’एक पत्र हिन्दी के नाम’पढकर मुझसे भी रहा नहीं गया.

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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!