मैं हूँ मशाल !
रचनाकार: डॉ. सरोज गुप्ता
मैं हूँ उन हाथों में,
जो लाकर क्रान्ति,
मिटाते भ्रान्ति ,
स्थाई करते शान्ति !
मैं हूँ मशाल !
मैं दिखाती रोशनी
हर महाभारत में
हर धृतराष्ट्र को
पहचान लें अपनी
मन की आँखों से
अपने पुत्रो की बदनीयती
अपनों के प्यार में
जो भी रहा अंधा
नहीं मिला उसे कभी
किसी युग में
अपनों का कंधा !
मैं हूँ मशाल !
पार्थ की सारथी
इस बार पार्थ
है बहुत आक्रोशित
दुशासन को देगा चीर
उसने किया अब किसी
द्रोपदी का हरण चीर !
मैं हूँ मशाल !
मैं हूँ उन हाथों में,
जो लाकर क्रान्ति,
मिटाते भ्रान्ति ,
स्थाई करते शान्ति !
रचनाकार: डॉ. सरोज गुप्ता
सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeletelatest post हिन्दू आराध्यों की आलोचना
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (30-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!