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Sunday, November 11, 2012

गीत: दीप जलाना तुम

चित्र गूगल बाबा से साभार

चहु दिशि छाया तिमिर मिटाने को दीपक बन जाना तुम ।

अबकी दीवाली में साथी ऐसे दीप जलाना तुम ।।

अंधकार जो गहरा उस पर क्रूर निशा का पहरा है ।

जो सम्राट उजालों का वह अब तो गूंगा बहरा है ।। 

ऐसे में खुद बन उजियारा कण-कण को दमकाना तुम ।।

अबकी .............।।

कुछ खद्योतों के वंशज अब जलते दिए बुझाते हैं ।

दूजों के जीवन में करके अंधकार वह गाते हैं ।।

बुझे हुए उन दीपों में लौ बन प्रकाश दिखलाना तुम ।

अबकी दीवाली में साथी ऐसे दीप जलाना तुम ।।

चौखट लाँघ कभी खुशियों ने दिया न दिवस सुनहरा हो ।।

भूख प्यास से जिनका जीवन रहता ठहरा ठहरा हो ।।

खुशियाँ उनमें बाँट होठ पर मुस्कानें बिखराना तुम ।

अबकी ............।।

पाकर शक्ति असीमित कोई दशाननी आचरण करे ।

बाँट अँधेरा सबको अपने घर में यदि रौशनी भरे ।।

ऐसे असुरों को दिखलाना उनका सही ठिकाना तुम ।।

अबकी दीवाली में साथी ऐसे दीप जलाना तुम ।।

रचनाकार- श्री अशोक पाण्डेय "अनहद "

संपर्क- कृष्ण विहार ,कुल्ली खेरा मार्ग
अर्जुन गंज लखनऊ (उ. प्र.)
मो . 9415173092

3 comments:

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    Tamam sabooton aur gawahon ko maddenajar rakhate hue adalat is nateeje par panhuchi hai ki isako padhane wale aur unaki family ko 13-11-2012 ke tahat DEEPAWALI ki hardik shubh kamanayen aur jindagi bhar khush rahane ki saja sunai jati hai.
    SURENDRA TRIPATHI. UMARIA.

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  2. बेह्तरीन अभिव्यक्ति .बहुत अद्भुत अहसास.सुन्दर प्रस्तुति.
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

    मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
    जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
    ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
    लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..

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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
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