सबकी होगी दिवाली
अपना तो है दिवाला
आम आदमी की किस्मत तो
भैया झिंगालाला...
प्याज, टमाटर को रोयें
या गैस सिलिंडर में सिर मारें
इतना हार चुके हैं बोलो
अब और कितना हारें
हम भोले-भालों को भेदे
महँगाई का भाला...
सब खाएँगे लड्डू – बर्फी
खील, बताशे, पेड़े
हम खाएँगे इस मौसम में
महँगाई के थपेड़े
सरकार झीनने को आतुर है
मुँह से हाय निवाला...
सब छोड़ेंगे रॉकेट - अनार
फोड़ेंगे बम – फटाखे
हम तो माँगे माँ लक्ष्मी से
बस जीवित ही राखे
अब तो ऊपरवाला ही है
जीवन का रखवाला...
लेखक- सुमित प्रताप सिंह
शुक्रिया धीरेंद्र जी. आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ...
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