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Sunday, November 30, 2014

बराबरी (लघु कथा)


बस में काफी भीड़ थी। सलमा बस में अपनी सहेली के साथ महिला सीट पर बैठी हुई थी। वह बहुत देर से बस में खड़े हुए एक लड़के को देख रही थी। उस लड़के को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि वह बहुत ही थका हुआ था और थकान के मारे उससे खड़ा भी हुआ नहीं जा रहा था। 
अचानक सलमा ने उस लड़के को बुलाते हुए कहा, "भैया आप मेरी सीट पर आकर बैठ जाइए।"
"तू पागल हो गई है जो एक अनजान लड़के को सीट दे रही है।" सलमा की सहेली उसे डाँटते हुए बोली।
सलमा ने मुस्कुराते हुए कहा, "आज के समय में हम महिला और पुरुष की बराबरी की बात करते हैं तो यह बात हमारे व्यवहार में भी होनी चाहिए और मुझे लगता है कि मुझसे ज्यादा उस लड़के को महिला सीट की जरुरत है।"
इतना कहकर सलमा वहाँ से उठकर खड़ी हुई और अपनी सीट उस लड़के को दे दी।

*चित्र गूगल बाबा से साभार 

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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
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