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Sunday, March 16, 2014

होली आई रे !!

लीजिये फिर आ गई है होली !! चलिये मनाए प्यार से , उत्साह से , उमंग से !!



होली जहां एक ओर सामाजिक एवं धार्मिक त्योहार है वहीं यह रंगो का भी त्योहार है । होली आते ही हर ओर रंग ही रंग दिखने लगता है । टेसू डालियो पर दहकने लगता है , रंग बिरंगे फूल खिल खिलखिलाते से लगते है ,  वातावरण  मे नई मादकता आ जाती है । हर उम्र के लोग मे नया जोश छा जाता है , नव जीवन की शुरुवात होती सी प्रतीत होती है । हर तरफ सजी हुई रंगों की दुकाने , घरों से आती पकवानो की खुशबू अलग ही मजा देती है । मन प्रफुल्लित हो उठता है । बच्चे हो या बड़े सभी रंग मे डूबे नजर आते है या यों कह लें कुछ देर के लिए सभी बड़े और बुजुर्ग भी बच्चे बन जाते है और होली का मजा लेते है जीवन मे नया जोश भरते है और अगले वर्ष की होली का इंतजार करने लगते है । कितना सुंदर रंगो का त्योहार है जो ईर्ष्य , द्वेष , निंदा , नफरत सब कुछ भूला कर सिर्फ प्यार का संदेश देता है । सब जाति  एवं वर्ग इस त्योहार का पूरा आनंद लेते है ।

होली आननद और उल्लास का त्योहार है वहीं इसमे कुछ बुराइयाँ भी आ गई है।  कुछ लोग इस अवसर लाभ उठा कर रंग खेलने के बहाने स्त्रियॉं से छेड़छाड़ , अबीर गुलाल के स्थान पर कीचड़ , गोबर , मिट्टी आदि फेंकते है । ऐसा करने से मित्रता , सौहार्द्य एवं प्यार  का नहीं अपितु शत्रुता का जन्म होता है । अश्लील एवं भद्दे मज़ाक करने से लोगो का दिल आहत होता है । शराब एवं भंग पीकर , लोगो को तंग करना इस त्योहार की महत्ता को कम करता है । इसके अंदर छिपे हुये प्यार एवं सौहार्द्य को कम  करता है । इसलिए इन सब को त्याग कर सौहार्द पूर्ण होली मनानी चाहिए । एकता , सद्भावना , प्रेम ही इस त्योहार का मूल उद्देश्य है ।

सब मिल जुल कर प्रेम और सौहार्द्य के साथ मस्ती से होली मनाएँ ।

होली की हार्दिक शुभकामनायेँ । 

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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!