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Monday, October 8, 2012

कविता: सोलह आना सच

चित्र गूगल बाबा से उधार 

मैंने जो कुछ जाना है

सबको आज बताना है

दुःख बाँटे आधा हो जाता 

अपने दुःख हलका कर लो 
सुख बाँटे दूना हो जाता 
जीवन को सुख से भर लो,
सुख - दुःख बाँटो प्यार करो सब
सुख दुःख सब पर आना है,
मिलकर हमें बिताना है 


सुख - दुःख सच्चे साथी हैं

दीप है सुख दुःख बाती है 

कौन जगत में ऐसा है 
जिसने दुःख न देखा है 
इसीलिए मैं कहता हूँ 
सोचो हर अच्छा कल हो 
रहो तैयार बुरे पल को 
जाने कल क्या आना है 
कल को किसने जाना है.



झूठ बोलकर काम किया

कम तोला दूना दाम लिया

रिश्वत लेकर नोट कमाए 
सोना चांदी घर पर लाए,
धन को पाकर क्या पाएगा 
क्या लेकर आखिर जाएगा 
खाली हाथ ही आए थे हम 
खाली हाथ ही जाना है 
यह सच सोलह आना है...



रचनाकार- श्री विरेश कुमार अरोड़ा


निवास- अजमेर, राजस्थान (भारत)


12 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद अरुण जी.

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  2. खाली हाथ ही जाना है.

    यह सच सौलह आना है.

    ........ बहुत सुन्दर.

    बेहतरीन कविता के लिया बधाई.

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद प्रतुल वशिष्ठ जी

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    2. सराहना के लिए आभार वशिष्ट जी ....

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  3. सत्य कहा ...
    बहुत सुंदर भाव मन के ...!!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद अनुपमा जी.

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  4. बहुत खुबसूरत भावों से लिखी रचना, आभार

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद राजपूत साहब ....

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  5. आजकल सफलता का ये मूलमंत्र है... सच ऐसा बोलो जो झूठ लगे और झूठ ऐसा बोलो कि सच लगे।

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    1. पवन जी आपकी बात में दम तो है लेकिन आप भी मेरी एक बात से तो सहमत होंगे ही कि झूठ एक न एक दिन पकड़ा ही जाता है ...

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  6. "dhan ko pakar kya payega,kya lekar aakhir jyega,khali hath hi jana hai ye sach solah aana hai"sunder bhaw liye ek behad khoobsurat rachna likhne ke liye viresh ji badhai ho.

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