चित्र गूगल बाबा से उधार |
मैंने जो कुछ जाना है
सबको आज बताना है
दुःख बाँटे आधा हो जाता
अपने दुःख हलका कर लो
सुख बाँटे दूना हो जाता
जीवन को सुख से भर लो,
सुख - दुःख बाँटो प्यार करो सब
सुख दुःख सब पर आना है,
मिलकर हमें बिताना है
सुख - दुःख सच्चे साथी हैं
दीप है सुख दुःख बाती है
कौन जगत में ऐसा है
जिसने दुःख न देखा है
इसीलिए मैं कहता हूँ
सोचो हर अच्छा कल हो
रहो तैयार बुरे पल को
जाने कल क्या आना है
कल को किसने जाना है.
झूठ बोलकर काम किया
कम तोला दूना दाम लिया
रिश्वत लेकर नोट कमाए
सोना चांदी घर पर लाए,
धन को पाकर क्या पाएगा
क्या लेकर आखिर जाएगा
खाली हाथ ही आए थे हम
खाली हाथ ही जाना है
यह सच सोलह आना है...
रचनाकार- श्री विरेश कुमार अरोड़ा
निवास- अजमेर, राजस्थान (भारत)
bahut sarthak...aabhar
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद अरुण जी.
Deleteखाली हाथ ही जाना है.
ReplyDeleteयह सच सौलह आना है.
........ बहुत सुन्दर.
बेहतरीन कविता के लिया बधाई.
बहुत बहुत धन्यवाद प्रतुल वशिष्ठ जी
Deleteसराहना के लिए आभार वशिष्ट जी ....
Deleteसत्य कहा ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव मन के ...!!
बहुत बहुत धन्यवाद अनुपमा जी.
Deleteबहुत खुबसूरत भावों से लिखी रचना, आभार
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद राजपूत साहब ....
Deleteआजकल सफलता का ये मूलमंत्र है... सच ऐसा बोलो जो झूठ लगे और झूठ ऐसा बोलो कि सच लगे।
ReplyDeleteपवन जी आपकी बात में दम तो है लेकिन आप भी मेरी एक बात से तो सहमत होंगे ही कि झूठ एक न एक दिन पकड़ा ही जाता है ...
Delete"dhan ko pakar kya payega,kya lekar aakhir jyega,khali hath hi jana hai ye sach solah aana hai"sunder bhaw liye ek behad khoobsurat rachna likhne ke liye viresh ji badhai ho.
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