क्या सोचते हो तुम
कोई मसीहा आएगा
मारकर दुश्मनों को
वह तुम्हें बचाएगा
तो माफ करना दोस्तो
तुम सब बड़े नादान हो
आँखों को खोले हुए
एक सोते हुए युग की पहचान हो
क्रांति की बात तो करते हो किन्तु
नहीं चाहते शस्त्र तुम उठाना
बातों को भी धीमे-धीमे
केवल कमरे में ही चाहते दोहराना
किन्तु याद रखना यह दोस्तो
मसीहा तब तक नहीं आएगा
जब तक कायरता को
हमारे दिलों में सींचा जाएगा
रचनाकार- सुश्री सोनाली मिश्रा
क्रान्तिकारी कविता... झकझोरती हुई..
ReplyDeleteबचने के लिए खुद ही संघर्ष करना पड़ेगा| मसीहा के इंतजार में तो वही होगा जो सोमनाथ के साथ हुआ|
ReplyDeleteसोमनाथ के पण्डे इस भ्रम में बैठे थे कि शिव तीसरा नेत्र खोलेंगे और आक्रमणकारियों को भस्म कर देंगे|पर न तो शिव का तीसरा नेत्र खुला ना क्षत्रियों को पंडों ने आक्रमणकारियों से लोहा लेने दिया| और सोमनाथ की अकूत धन संपदा लुटा दी गयी|
एक दम सही
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