अजब फैल गई महामारी
सारी दुनिया उससे हारी
कोरोना का रावण आया
खांसी,नजला, कंठ सुखाया।
सांसों की तकलीफें लाया
लॉक डाउन में हमें फंसाया।
रामराज्य को वापिस लाआे
कॉविड से पीछा छुड़वाओ
वैद्य, हकीम नब्ज को जानो
भारत की दुविधा पहचानो।
समय यही हनुमान बुलाआे
जड़ ,कंद फिर से मंगवाओ।
मूर्छा हर , हर लक्ष्मण जागे
कोरोना तब डरकर भागे
डॉक्टर ,नर्स और सिपाही
मानवता की बने गवाही
उनका कर्जा आज चुकाओ
धन्यवाद कह फर्ज निभाओ।
राष्ट्रधर्म है मनुज निभाओ
हर भूखे को रोज खिलाओ।।
..... मौलिक एवं स्वरचित...
..सरिता यश भाटिया ...
सुन्दर और सामयिक
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