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Monday, August 18, 2014

ग़ज़ल

अक्ल आ जाएगी ठिकाने पर
वो जो उतरेगा आज़माने पर
तीर दुनिया ने ताक़ कर मारे
हम ही आये नहीं निशाने पर
वो ही मेरा ख्याल रखता है
सारी दुनिया के भूल जाने पर
हस्ती शाहों की मिट ही जाती है
इक फ़क़त उसके रूठ जाने पर
डूबी कश्ती भी आ लगे साहिल
वो उतर आये जो बचाने पर
तू चला आएगा सदा पे मेरी
मैं फ़िदा तेरे इस बहाने पर
मैंने आवाज़ दी मैं रोया भी
तुम न आये मेरे बुलाने पर
राह जनमों से तक रहा है ‘असर’
अब तो आ जा गरीबखाने पर 

प्रमोद शर्मा 'असर'
हौजखास, नई दिल्ली 

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