''निर्भया'' की कुर्बानी मत भूलना !!
तुम्हारे नाज़ुक ज़िस्म पर हैवानियत का हमला ,
दरिंदगी की इन्तिहां मुश्किल था संभलना !
नोंच दिया अंग-अंग वहशी थे खूंखार ,
रो पड़ी मानवता सुनकर तेरा चीत्कार!
हे बहादुर बेटी !तेरे साहस को सलाम !
तू कड़की बनकर 'दामिनी' झंकझोर दी अवाम !
तेरी जिजीविषा ने सबको जगा दिया ,
नारी के आगे मस्तक पुरुष का झुका दिया !
दामिनी की आह से उठा है जो तूफ़ान ,
भारत की हर बेटी तक पहुंचा दो वो पैगाम !
''निर्भया''बन करना हैवानों का सामना !
न भूलना कुर्बानी बस ये है कामना !!
रचनाकार: सुश्री शिखा कौशिक
कांधला, शामली
prakashan hetu hardik aabhar
ReplyDeleteshikha ji ,bahut hi bhavpoorn shabdon me aapne damini kand ko abhivyakt kiya hai .sarahniy abhivyakti. badhai
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...आपको इस लेखन हेतु बधाई और शुभकामनाएँ!
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