चित्र गूगल जी से साभार |
हे भारत माँ के बेटो, भारत माँ की संतान,
जो है देश की आन बचानी, तो दो तुम कुछ बलिदान !
रिश्वतखोरी को छोडो, मत घूस से नाता जोड़ो
भ्रष्टाचार के पथ से, अपना नाता तुम तोड़ो,
अब जग में भारत माँ की, बढ़ानी हमको है शान
जो है देश की आन बचानी.........
जहाँ हरिश्चंद्र ने अपने सच का डंका था बजाया
उस देश में जानो कैसे फिर झूठ ने राज जमाया
आओ मिलकर पहुँचा दें, इस झूठ को शमशान
जो है देश की आन बचानी.........
कहीं जाति औ' धरम के झगडे, कहीं ऊंच नीच की बातें
कुछ ऐसा हम कर पाते, मिलकर हम सब रह पाते
हर प्रान्त का वासी पहले माने, है देश उसका हिन्दुस्तान
जो है देश की आन बचानी....
हे भारत माँ के......
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सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!