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Tuesday, December 18, 2012

शोभना काव्य सृजन पुरस्कार प्रविष्टि संख्या - 9


विषय: भ्रूण हत्या

माँ को श्रेष्ठ मान हरदम सर झुकाती है  दुनिया -२
हर धर्म में उसे ही अपना जहान बताती है दुनिया 

फिर बेटी जन्म ले इस बात से ही 
घबरा कर क्यूँ  मुँह छुपाती है दुनिया ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया ....

देवी को पूजती हैसज़दा करती है चरणों में  -२
फिर उसका ही स्वरुप क्यूँ नाले में फेंक आती है दुनिया......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया

पाप और पुण्य का हिसाब लगाते हैं सभी हर पल -२
फिर भ्रूण हत्या का पाप कर क्यूँ इतराती है दुनिया ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया

गर्भ-धारण से जागती है मातृत्व की भावना -२
फिर इस सुख की कुर्बानी मांग क्यूँ गर्भपात कराती है दुनिया......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया

भ्रूण हत्या से खतरा हो सकता है जननी को -२
जानते हुए भी क्यूँ उसे बलि पर चढ़ाती है दुनिया ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया

जग जाहिर है बेटा-बेटी का होना निर्भर हैं पिता पर -२
फिर माँ को ही क्यूँ हर बार कसूरवार ठहराती है दुनिया ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया
पुत्र हो या पुत्री , ईश्वरीय कृति हैं दोनों -२
फिर कन्या को ही अवांछित मान क्यूँ गिराती है दुनिया ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया

बात समझ में आती है सबकोफिर भी -२
अनजान बन बार-बार कहर ढहाती है दुनिया ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया

सास भी है एक औरत और माँ भी एक औरत -२
फिर कन्या भ्रूण को ही क्यूँ गिराना चाहती है दुनिया ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया

पुत्र होते ही संजोते हैं सपने उसके ब्याह के -२
बहु बनाने को कन्या कहाँ से आएगीभूल जाती है दुनिया ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया


पुत्र कुपुत्र हो तो कर सकता है दाने-दाने को मोहताज -२

फिर भी पुत्री को अभिशाप मान, पुत्र ही क्यूँ पाना चाहती है दुनिया ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया

माँ, बहिनपत्नी की मृत्यु पर अश्रुओं की गंगा बहाते हैं सब -२
फिर उन्ही के लघु रूप की हत्या पाषाण बन कैसे कर पाती है दुनिया ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया

कोमल अधपके अंगएक धडकतासांस लेता दिल -२
क्यूँ क़त्ल कर खुद को ताकतवर कहलाती है ये दुनिया ......भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया

ये प्रश्न कुलबुलाते होंगे ज़हन में सबके , जानते हैं हम  -२
फिर अपनी दफ़े सब भूलक्यूँ भ्रूण-हत्या को तैयार हो जाती है दुनिया... ......

भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया..... भ्रूण हत्या कैसे कर पाती है दुनिया.....

रचनाकार - सुश्री पूनम मटिया 


दिलशाद गार्डन, दिल्ली-95

11 comments:

  1. पूजते हैं हम नारी का, कई विभिन्न स्वरुप ।
    जन्म पूर्व ही मारते, नारी का प्रथम जो रूप ।।

    आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (19-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | अवश्य पधारें |
    सूचनार्थ |

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    1. प्रदीप साहनी जी .....सही भाव व्यक्त किये आपने अपनी इन पंक्तियों में
      यही प्रश्न तो हृदय विदारक है ...........
      धन्यवाद आपका मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु .......

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  2. Replies
    1. सुमन जी अति आभारी हूँ

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    2. pooamji...we all should think this....

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  3. poonamji...ye kavita padhkar mere ankhon me ansoo agaya....mujhe biswas he ki log samjhenge....kanya bhrun hatya se dur rehenge..beti hamari laxmi he ye jarur samjhenge...me asha karta hun sab ye padhen aur unki bichar rajhen,,,me aaj bahot khusi hun ki poonamji ne ye post karke unki dil me jo he bata diya...many many thnx for sharing this....love u poonamji wid much respect

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    1. sai kaha Ashwini Patro.....soch ko badalna hoga ........dhnywaad

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  4. बहुत सुंदर पोस्ट पूनम जी,

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