शर्मा जी रोज की तरह अपनी बूढ़ी पत्नी के साथ सुबह की सैर पर निकले. चलते-चलते पुरानी यादों में खो गए. शर्मा जी को शादी के कई सालों तक संतान न होने से वह बिल्कुल टूट चुके थे. मंदिर, मस्जिद,चर्च हो या फिर गुरुद्वारा कोई ऐसी जगह नहीं छोड़ी थी, जहाँ उन दोनों ने जाकर अपना सिर न पटका हो. आखिर एक दिन उनकी मेहनत रंग लाई और उनके यहाँ एक सुन्दर बेटा पैदा हुआ.