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Sunday, June 3, 2012

घाटा (लघु कथा)


   
   चौधरी साब मोटरसाइकिल पर पीछे बैठे हुए अपने बेटे से बोले ,"बेटा थोड़ा और तेज मोटरसाइकिल दौड़ा. कहीं हमें देर न हो जाए. बाबा रामदेव और अन्ना जी के जंतर-मंतर पर आने से पहले हमें वहाँ पहुंचना है." बेटा बोला,"बापू सामने की बत्ती लाल हो चुकी है इसीलिए मोटरसाइकिल धीमी की है." "अरे लाल बती को मार गोली. बिना थमे आगे बढ़. यहाँ हम भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ने जा रहे हैं और तू लाल बत्ती से डर रहा है." चौधरी साब अपने बेटे को डाँटते हुए बोले. जैसे ही मोटरसाइकिल ने लाल बत्ती पार की ट्रैफिक हवलदार उनके सामने प्रकट हो गया और लालबत्ती पर सड़क पार करना, बिना हैलमेट पहने गाड़ी चलाना, अव्यस्क को गाड़ी चलाने देना और बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाना इत्यादि कानून तोड़ने के लिए चालान बनाकर चौधरीसाब के हाथ में थमा दिया.चौधरी साब गिड़गिड़ाते हुए ट्रैफिक हवलदार से बोले, "हवलदार साब इतना अन्याय मत कीजिये हम अन्ना भक्तों पर कुछ तो कृपा कीजिए. अपना चाय पानी का खर्चा लेकर हमें बक्स दीजिए."  ट्रैफिक हवलदार बोला, "देखिये हमने भी अन्ना हजारे जी की शिष्यता ग्रहण कर ली है. इसलिए रिश्वत हमारे लिए हराम है. आप चालान का पूरा पैसा दीजिए वरना आपकी गाड़ी जब्त करनी पड़ेगी." चौधरी साब ने बुझे मन से चालान का पैसा दिया और अपने बेटे से कड़क आवाज में बोले, "चल बेटा मोटरसाइकिल घर की ओर वापस मोड़ ले." बेटे ने आश्चर्यचकित हो पूछा,"क्यों बापू?"  "बेटा अन्ना का साथ देने में अपना घाटा है." इतना कहकर चौधरी साब अपने बेटे की मोटरसाइकिल पर बैठ अपने घर की ओर चल दिए.