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Wednesday, June 6, 2012

कविता



रात भर सपनों में

तैरती रही कविता
सुबह उठ ईश्वर से की प्रार्थना
कि दिन भर लिखूं कविता

और प्रार्थना के बाद 
इस तरह शुरू हुआ क्रम
मेरे लिखने का ...

मैने बेली कविता 
पकाई विश्वास और नेह की आंच में
तुमने किया उसका रसास्वादन
की तारीफ, तो उमड़ने लगीं
और और कवितायेँ ...

बुहारे फालतू शब्द लम्बी कविता से 
आंसुओं की धार से भिगो किया साफ़
तपाया पूरे घर से मिले
सम्बन्धों की आंच में
तो खिल उठी कविता
तुमने उसे पहना, ओढा, बिछाया
मेरी मासूम संवेदनाओं के साथ
तो सार्थक हुई मेरी कविता

तुम्हारे दफ्तर जाने पर 
मैंने लिखी कविता दुआ की
कि बीते तुम्हारा दिन अच्छा
घर लौटने पर न हो ख़राब तुम्हारा मूड
न उतरे इधर-उधर की कड़वाहट घर पर

तुम आओ तो मुस्कारते हुए 
भर दो मेरी कविता में इन्द्रधनुषी रंग
और हम मिलकर लिखे
एक कविता ऐसी
जो हो मील का पत्थर ।


रचनाकार- श्रीमति ममता किरण 

3 comments:

  1. आप दोनों मिलके,,कागज़ से दिल पे,,अच्छी सी कविता लिखें ,,यही हमारी कामना है

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  2. सुन्दर कविता...

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  3. हर पल आपका ना मिला साथ तो बनी कविता , भविष्य के प्रति आशंका दिखी तो बनी कविता , ना चाहा था कुछ कहना सामने न हो तो बनी कविता

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यहाँ तक आएँ हैं तो कुछ न कुछ लिखें
जो लगे अच्छा तो अच्छा
और जो लगे बुरा तो बुरा लिखें
पर कुछ न कुछ तो लिखें...
निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!