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Sunday, May 13, 2012

मदर्स डे (लघु कथा)



  वृद्धाश्रम में आज खूब हलचल है। आज सुषमा जी का आई.ए.एस. बेटा आनंद अपने बीबी-बच्चों के साथ "मदर डे" मनाने को वृद्धाश्रम में हाज़िर है। सभी बुजुर्गों के लिए आज आनंद की ओर से खाने-पीने का प्रबंध किया गया है। सब लोग उसे ढेरों दुआएँ दे रहे हैं आनंद के साथ आया उसका पी.ए. मुस्तैदी लाल अपने बॉस के अपनी बूढ़ी माँ के साथ बिताए इस खास दिन का एक-एक पल अपने कैमरे में कैद करने में मशगूल है। उसे  बॉस से हुक्म मिला है, कि आज  के दिन खीचीं गईं  इन विशेष तस्वीरों को उनके फेसबुक, ट्विटर व गूगल प्लस इत्यादि सोशल नेटवर्किंग साइट्स में आज शाम तक अपडेट कर दे। सुषमा जी सोच रहीं हैं, कि पश्चिमी संस्कृति में चाहे जितनी कमियाँ हो, लेकिन उसने “मदर्स डे” के रूप में कम से कम एक दिन तो ऐसा दिया जिस दिन उन्हें अपने बेटे, बहु और पोता-पोती से साल में एक बार तो मिलने का सौभाग्य मिल जाता है।  

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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!