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Sunday, November 17, 2013

मेरा आसमान

सब के  हैं  अपने-अपने आसमान
हर आसमान का है रंग जुदा-जुदा

सब के आसमान का हैं अपना एक  चाँद
और एक   सूरज भी... 
हर  किसी की हैं चाहतें  
और कुछ हसरतें भी...

हर  कोई  चाहता है मुझ से सब कुछ 
पर ना जाने कहाँ खो गया हूँ  'मै'
'मैमें 'मैको तलाशता हुआ...
'खुदमें 'खुदको ढूंढ़ता हुआ...

खुद की चाहतों को सांसों के साथ भिगोता हुआ...
अपनी उम्मीदों को पलकों पे सजाता हुआ....

इंतज़ार है खुद की चाहतों का.....
उम्मीदों का....
कभी तो वो सांस लेंगी.....
कभी तो उनमे उड़ान होगी...
.
कभी तो मेरा आसमान भी किसी को नज़र आएगा....
मेरी उम्मीदें....
मेरी चाहतें.....
और
मुझे...

कभी तो कोई समझेगा...
रविश 'रवि'
फरीदाबाद (भारत)

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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!