वो न कभी रूठती हैं और न ही कभी तकरार करती हैं ।
दो बेटियां रात को घर पे बस मेरा इंतजार करती हैं ।।
मम्मी की सच्ची झूठी शिकायत होती हैं कुछ बस्ते में,
हाथ में आ छूट जाती हैं कभी महंगे में कभी सस्ते में,
कभी पीछे मुड़ मुड़ देखती हैं वो चलते चलते रस्ते में
दोनों ही फिर खो जाती हैं गुड मोर्निंग और नमस्ते में
स्कूल बस तक भी वो दोनों अकेला जाने से डरती हैं ।
दो बेटियां रात को घर पे बस मेरा इंतजार करती हैं ।।
बड़ी थोड़ी सियानी है तो छोटी उतनी ही भोली है ,
साथ रहती है दोनों ऐसे जैसे कोई दामन चोली है ,
एक जाग ले रात रात भर तो दूसरी नींद की गोली है ,
सहेलियों की गिनती नहीं यूँ तो पूरी की पूरी टोली है ,
तकिया बनाकर टैडी का अब भी सिर नीचे धरती है ।
दो बेटियां रात को घर पे बस मेरा इंतजार करती हैं ।।
चिड़ि कौवा भैंस पापा कभी हमारे साथ भी उड़ा दो ,
खेल में संग हमारे कभी गलत ऊँगली भी उठा दो,
या फिर पापा हमारा बस एक इतना ही कहा पुगा दो ,
अपने जैसा हमारे लिए कोई रबर का खिलौना ला दो,
रजाई में मुह देकर कभी कभी सिसकियाँ भी भरती हैं ।
दो बेटियां रात को घर पे बस मेरा इंतजार करती हैं ।।
कब फ्री होवोगे पापा एक दिन छोटी ने सवाल कर लिया ,
मै बोला "तब बेटा,जब चार बन्दों ने मुझे कंधे धर लिया" ,
इस मजाक को छोटे से दिल ने अंदर अंदर ही जर लिया ,
"तो फ्री न होना प्लीज़"कह उसने बस्ता कंधे पे धर लिया,
और मै सोचता था की बेटियां हर बात कहाँ समझती हैं ।
दो बेटियां रात को घर पे बस मेरा इंतजार करती हैं ।।
बेटी तो बेटी है दोस्तों वो तो हर कहना मान लेती हैं,
हरकत को बिन् बोले कितना गहरा पहचान लेती है ,
चिड़िया पराये आँगन की ये कड़वा सच जान लेती हैं ,
बाप के लिए सदा दुआओ की एक चादर तान लेती है ,
कदम कदम पर जीती है और कदम कदम पर मरती है।
दो बेटियां रात को घर पे बस मेरा इंतजार करती हैं ।।
वो न कभी रूठती हैं और न ही कभी तकरार करती हैं ।
दो बेटियां रात को घर पे बस मेरा इंतजार करती हैं ।।
रमेश चहल
कैथल, हरियाणा
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सुमित प्रताप सिंह,
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