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Wednesday, November 7, 2012

गीत: सपने नए-नए

चित्र गूगल बाबा से सप्रेम 


जगती आँखों 

से देखो तुम 

सपने नए-नए ।



सपने ही 

उत्तम भविष्य के

वाहक होते हैं ।
स्वप्न परिश्रम 

औ' आशा के 
मानक होते हैं । 
सपनों से 
मिलते आलंबन
कितने नए-नए ।


मात्र स्वप्न ही

देखे बस, वो 

जीवन भर रोता । 
लगन और मेहनत 
से ही सब 
कुछ हासिल होता ।
चट्टानों को चीर 
ही बहे
झरने नए -नए ।



तपती है धरती पहले 

तब बरखा पाती है ।

गिर - गिर कर 
चींटी देखो 
मंज़िल पा जाती है । 
कष्ट झेल
सम्मान तुम्हें हैं,
मिलने नए- नए । 

रचनाकार- श्री अंकित गुप्ता 'अंक '


मोरादाबाद, उ.प्र.


2 comments:

  1. मात्र स्वप्न ही
    देखे बस, वो
    जीवन भर रोता ।
    लगन और मेहनत
    से ही सब
    कुछ हासिल होता ।
    चट्टानों को चीर
    ही बहे
    झरने नए -नए ।

    तपती है धरती पहले
    तब बरखा पाती है ।
    गिर - गिर कर
    चींटी देखो
    मंज़िल पा जाती है ।
    कष्ट झेल
    सम्मान तुम्हें हैं,
    मिलने नए- नए ।

    वाह क्या खूब लिखा है गुप्ता जी.... बहुत सुन्दर....

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