चित्र गूगल बाबा से सप्रेम |
जगती आँखों
से देखो तुम
सपने नए-नए ।
सपने ही
उत्तम भविष्य के
वाहक होते हैं ।
स्वप्न परिश्रम
औ' आशा के
मानक होते हैं ।
सपनों से
मिलते आलंबन
कितने नए-नए ।
मात्र स्वप्न ही
देखे बस, वो
जीवन भर रोता ।
लगन और मेहनत
से ही सब
कुछ हासिल होता ।
चट्टानों को चीर
ही बहे
झरने नए -नए ।
तपती है धरती पहले
तब बरखा पाती है ।
गिर - गिर कर
चींटी देखो
मंज़िल पा जाती है ।
कष्ट झेल
सम्मान तुम्हें हैं,
मिलने नए- नए ।
रचनाकार- श्री अंकित गुप्ता 'अंक '
मोरादाबाद, उ.प्र.
मात्र स्वप्न ही
ReplyDeleteदेखे बस, वो
जीवन भर रोता ।
लगन और मेहनत
से ही सब
कुछ हासिल होता ।
चट्टानों को चीर
ही बहे
झरने नए -नए ।
तपती है धरती पहले
तब बरखा पाती है ।
गिर - गिर कर
चींटी देखो
मंज़िल पा जाती है ।
कष्ट झेल
सम्मान तुम्हें हैं,
मिलने नए- नए ।
वाह क्या खूब लिखा है गुप्ता जी.... बहुत सुन्दर....
जी बहुत बहुत धन्यवाद
Delete