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Monday, September 8, 2014

आपदा या आने वाले खतरे की आहट .............................

धरती के स्वर्ग जम्मू कश्मीर में आई प्राकृतिक आपदा आँखे खोलने वाली है.इस आपदा ने हम सभी को झकझोर दिया है,आज हम सभी इस आपदा को रोकने और पीड़ितों को हर संभव मदद के प्रयास कर रहे है,जहाँ एक ओर यह आपदा हमें सोचने पर मजबूर कर रही है,वही यह भी सही है कि इस तरह की आपदा देव भूमि क्षेत्रों को ही सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है,क्या यह केवल प्राक्रतिक आपदा है, या देवीय प्रकोप या फिर अदृश्य शक्ति हमें भविष्य के बड़े खतरे के संकेत दे रही हैं. ........पिछले साल इसी तरह की आपदा देव भूमि उत्तराखंड में आई थी.तब भी सारे देश के लोग प्रभवित हुए थे,जहाँ आज तक इस तबाही के जख्म दिखाई पड़ रहे है. इस तबाही के बाद भी यदि हम नहीं सुधरे,इससे कोई सबक नहीं लिया और भविष्य को इस तरह की आपदाओं से बचाने का प्रयास नहीं किया तो शायद पूरा देश ही जल-समाधि की कगार पर खड़ा नजर आएगा ....फिर न तो सेना काम आएगी और न ही प्रार्थना...

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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!