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Monday, August 26, 2013

हमसाया

सफ़ेद बर्फ से घिरे पहाड़
मानो समेट लिया हो
बर्फ ने पहाड़ों को
अपने आगोश में,

चमकते सूरज की शुआओं* ने
तापा है तेरे - मेरे जिस्म को,

हंसी वादियों में
महकती 
सर्द हवाओं ने
सजाया है मौसम 
तेरे-मेरे लिए.......

किसी जर्रे में है धू
किसी में है छाया,

आज है यहीं पर
आसमां...
अपनी
जमीं का हमसाया |   

*शुआओं : किरणों

रविश 'रवि'
फरीदाबाद 

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